बीकानेर. सोमवार का नाम सोम से पड़ा है, जिसका अर्थ सौम्य या सरल होता है ठीक भगवान भोलेनाथ की तरह, जो एक लोटे जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं. सोमवार को सप्ताह का प्रथम दिन भी कहते हैं. चंद्र देव ने सोमवार के दिन भगवान भोले नाथ को (somvar shiv katha) प्रसन्न करने के लिए तप किया था. चंद्रमा की पूजा से शिव प्रसन्न हुए और उन्हें क्षय रोग से मुक्ति मिली. तभी से सोमवार का दिन सोमेश्वर यानी चंद्रमा के ईश्वर को समर्पित हो गया.
जल चढ़ाने का महत्व: पौराणिक काल से भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए भक्तगण सोमवार का व्रत करते हैं. इस दिन कुछ बातें हैं जिनका जातक विशेष ध्यान रखें तो निश्चित ही शंकर भगवान के कृपा पात्र बन जाएंगे. ऐसा कहा जाता है कि इस दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाने से शिव और पार्वती दोनों को आशीर्वाद मिलता है. देवाधिदेव को जलाभिषेक करते समय शांत मन से धीरे-धीरे जल अर्पित करना चाहिए. मान्यता है कि जब हम धीमी धार से महादेव का अभिषेक करते हैं तो महादेव विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं.
चावल के साथ जलाभिषेक से दूर होता अर्थ संकट: शिवपुराण के अनुसार, धन प्राप्ति के लिए शिवलिंग पर जल में अक्षत यानी चावल मिलाकर अभिषेक करना चाहिए. ऐसा करने से धन संबंधित समस्या का अंत होता है और कर्ज की समस्या से भी मुक्ति मिलती है. भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें. शिव पुराण के अनुसार जितने बेलपत्र हो उतने ही चढ़ा सकते हैं. वैसे तो शिवजी को 3 से लेकर 11 बेलपत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है. इसके बाद भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं.