बीकानेर. चतुर्दशी के देवता भोले भंडारी हैं. इस तिथि में भगवान शंकर की पूजा करने और व्रत रखने से मनुष्य समस्त ऐश्वर्यों को प्राप्त कर बहुत से पुत्रों एवं अकूत धन से संपन्न हो जाता है. माना जाता है, कि चतुर्दशी की चन्द्र कला का अमृत भगवान शिव स्वयं पीते है इसलिए इस दिन इनका ध्यान करना शुभ होता है. इस तिथि में रात्रि जागरण और शिव मंत्र जाप कार्य भी किये जाते हैं. यह उग्र अर्थात आक्रामकता देने वाली तिथि हैं. चतुर्दशी को चौदस भी कहते हैं. यह रिक्ता संज्ञक है एवं इसे क्रूरा भी कहते हैं. इसीलिए इसमें समस्त शुभ कार्य वर्जित है. इसकी दिशा पश्चिम है.
करें ये काम-चतुर्दशी तिथि को कठोर और क्रूर काम करने के लिए उपयुक्त कहा जाता है (Shukla Paksha Chaturdarshi). इसमें ऎसे काम जिनमें मेहनत और बहुत अधिक जोश उत्साह की स्थिति रहती है किए जा सकते हैं. किसी प्रकार के हथियारों का निर्माण अथवा उनका परिक्षण भी इस तिथि में कर सकते हैं. इस तिथि पर किसी स्थान की यात्रा करना अनुकूल नहीं माना जाता है.
जपे भोले बाबा का महामृत्युंजय मंत्र- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्" मंत्र का जाप जीवन में उत्पन्न संकट को समाप्त कर देता है. इस दिन भगवान शिव का पूजन करते वक्त 'ॐ नम: शिवाय का जाप करें. इस मंत्र का मतलब है कि हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो हर श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और पूरे जगत का पालन-पोषण करते हैं.