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'बच्चों में गणित को लेकर फोबिया, पढ़ाने के तरीकों में बदलाव करने की जरूरत' : गणितज्ञ देव अरस्तु - Rajasthan Latest News

राष्ट्रीय गणित दिवस 22 दिसंबर को मनाया जाता है. हमारे देश के महान गणितज्ञ रामानुजन के योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उनकी जन्म जयंती के मौके पर इस दिन को राष्ट्रीय गणित दिवस घोषित किया. इस खास मौके पर बीकानेर के महान गणितज्ञ और रॉयल चार्टर से सम्मानित देव अरस्तु पंचारिया ने ईटीवी भारत से बातचीत में अपने विचार रखे...

गणितज्ञ देव अरस्तु से खास बातचीत
National Mathematics Day

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 22, 2023, 7:19 AM IST

Updated : Dec 22, 2023, 8:35 AM IST

गणितज्ञ देव अरस्तु से खास बातचीत

बीकानेर.भारत सरकार की ओर से वर्ष 2012 में महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रीय गणित दिवस मनाने की घोषणा की गई थी. गणित के जादूगर के रूप में विख्यात श्रीनिवास रामानुजन के अतुलनीय योगदान को देखते हुए उन्हें तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत के समय ब्रिटेन की रॉयल सोसायटी चार्टर में भी शामिल किया गया. रामानुजन की जयंती के मौके पर ईटीवी भारत ने बीकानेर के गणितज्ञ देव अरस्तु पंचारिया से खास बातचीत की. बता दें कि रामानुजन के बाद देव अरस्तु पहले भारतीय भौतिक वैज्ञानिक हैं, जिन्हें रॉयल चार्टर मिला है. उन्हें ब्रिटेन की रॉयल सोसाइटी की ओर से पूर्ण रॉयल चार्टर के लिए चुना गया.

इस चार्टर में कार्ल मार्क्स, बेंजामिन फ्रैंकलिन, नेल्सन मंडेला, स्टीफन हॉकिंग जैसे महान शख्सियत शामिल हो चुके हैं. बीकानेर के देव अरस्तु को बतौर वैज्ञानिक देश-विदेश में कई सम्मान मिल चुके हैं. उनके 500 से अधिक फार्मूले पेटेंट हो चुके हैं. उन्होंने गणित और विज्ञान की अनसुलझी पहेलियों और रहस्य की खोज की है. गणितीय रूप से किस तरह तरल पदार्थ में बनने वाली आकृति प्रभावित होती है, उनकी इस खोज को यूरोपियन जर्नल ऑफ एप्लाइड फिजिक्स ने प्रकाशित किया है.

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शिक्षा नीति को लेकर कही ये बात :नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर देव अरस्तु ने कहा कि सबसे पहले शिक्षकों की दोबारा से ट्रेनिंग करने की जरूरत है. बच्चों के मन के सवालों का शिक्षकों को संतुष्टि से जवाब देना चाहिए, क्योंकि बच्चों की जिज्ञासा को जानने की और हर तरह के सवालों का जवाब देने की कोशिश होनी चाहिए. शिक्षा की नींव बच्चे हैं और शिक्षक उस नींव को मजबूत करने का काम करता है. उन्होंने कहा कि हमारे एजुकेशन सिस्टम में बदलाव की जरूरत देखी जा रही है. हमें देखना चाहिए कि शुरुआत में सीखने आया बच्चा सही दिशा में जा रहा है या नहीं. बच्चे किसी विषय को लेकर फोबिया के शिकार होते हैं, खास तौर पर गणित को लेकर, लेकिन गणित एक खूबसूरत पेंटिंग की तरह है, जिसे हम बार-बार देखना पसंद करते हैं. पढ़ाई के सिस्टम में इसे एक विषय के रूप में बताया गया है. बच्चा फार्मूला और आंकड़ों में उलझ जाता है. इसके लिए उन तरीकों को बदलना होगा जिनकी वजह से बच्चा इस विषय से दूर होता है.

अभी बहुत कुछ करना बाकी : देव अरस्तु ने बताया कि अभी तो उन्हें बहुत कुछ करना बाकी है. छोटी सी उम्र में 500 से ज्यादा पेटेंट अपने नाम करने को लेकर उन्होंने कहा कि वो अपने काम को लेकर संतोष नहीं रखते. आगे सीखने और कुछ नया करने की ललक रखते हैं. शायद इसलिए यह सब कुछ हो पाया.

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देश ही नहीं विदेश में भी पहचान :देव अरस्तु पंचारिया ने 14 साल की उम्र में अपना पहला रिसर्च पेपर लिख दिया था. हालांकि देशभर में उनकी पहचान धीरे-धीरे हो रही थी, लेकिन साल 2021 में जब ब्रिटेन की रॉयल चार्टर में उन्हें नामित किया गया, उसके बाद देश की कई यूनिवर्सिटीज और कॉलेज में भी उनको बुलाया जाने लगा. ऐसे में देश की बजाय विदेश से पहचान के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है, लेकिन जिस देश में रामानुजन और दूसरे कई लोगों को अभी तक भी भारत रत्न नहीं मिला, वह सोच का विषय है. जो काम गणितज्ञ रामानुजन ने किया, वह आज भी संभव नहीं है.

इनसे देश को काफी उम्मीदें : बीकानेर के सेवानिवृत्त कॉलेज प्राचार्य और फिजिक्स के विशेषज्ञ डॉ. रविंद्र मंगल कहते हैं कि एक समय के बाद फिजिक्स और गणित एक हो जाते हैं. देव ने अपने ज्ञान के माध्यम से उन चीजों पर महारत हासिल की है, जो पिछले 300 सालों में कोई नहीं कर पाया. इन्हें भविष्य का आइंस्टीन कहा जाता है. भविष्य में भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में उनकी ओर से किए जा रहे काम के लिए ये नोबेल पुरस्कार हासिल करने वाले लोगों की श्रेणी में है और भारत को इनसे काफी उम्मीदें हैं.

Last Updated : Dec 22, 2023, 8:35 AM IST

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