बीकानेर. वैदिक ज्योतिष में मंगल महत्वपूर्ण ग्रह है जोकि अग्नि कारक और नवग्रहों में मंगल को सेनापति माना गया है. ज्योतिर्विद डॉ. आलोक व्यास ने बताया कि कुंडली मे मंगल जातक के साहस, ऊर्जा, गतिशीलता, जीवन शक्ति और अनुशासन का कारक होता है. व्यक्ति के शरीर में खून, हड्डी, शारीरिक चोट या दुर्घटना द्योतक होता है. इसके अतिरिक्त मंगल भूमि, वाहन, आग्नेय अस्त्र का भी प्रतिनिधित्व करता है. जातक की कुंडली में मंगल प्रबल होने पर व्यक्ति का साहसी ऊर्जावान और अनुशासित होता है और दुर्बल होने पर आलसी, ऊर्जाहीन और क्रोधी होता है. दुर्बल या नीच राशि मे उपस्थित मंगल को प्रबलता देने हेतु हनुमान उपासना या मंगलवार के दिन सोने की अंगूठी में मूगा का अनामिका अंगुली में धारण करना श्रेयस्कर रहता है.
मेष: गृहस्थान पर नवाचार, माता संबंधी पीड़ा, भूमि या वाहन का क्रय विक्रय का योग बन रहा है.
वृषभ:छोटे भाई बहन अथवा अधिनीस्थ से मतभेद, आत्मबल में कमी, अल्प दूरी की यात्रा का योग बन रहा है.
मिथुन: स्थाई परिसंपत्ति का निर्माण, पारिवारिक सदस्यों से मतभेद, वाणी अथवा नेत्र दोष या दंत समस्या का योग बनेगा.
कर्क: आत्म छवि से असंतुष्टि, एकांतवास आर्थिक पक्ष में सुधार की संभावना है.
सिंह: आर्थिक असंतुलन, विदेश प्रवास के योग बन रहे हैं। इसके साथ ही मानसिक पीड़ा भी झेलनी पड़ सकती है.