भीलवाड़ा.कोरोना ने आमजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है. कोरोना की मार से उद्योग-धंधे मंदी की मार झेल रहे हैं. आमलोगों की आर्थिक हालत खराब है. ऐसे में आमजन अपना बजट संभालने में लगे हैं. दूसरी तरफ कोरोना का डर भी है. ऐसे में मौसमी फलों की बिक्री भीलवाड़ा में न के बराबर है. जिससे फल विक्रेता परेशान हैं. कोरोना की मार ऐसी है कि लोग सिंघाड़े को खरीदने से भी कतरा रहे हैं. ग्राहकों को डर है कि कहीं कोरोना बाजार से घर साथ चला जाएगा.
भीलवाड़ा में सिंघाड़ा विक्रेता परेशान सर्दी के मौसम में हर साल हरे सिंघाड़े की खूब बिक्री होती है. पहले आम दिनों में भीलवाड़ा शहर के विभिन्न चौराहों पर हाथ ठेला पर खूब सिंघाड़े बिकते मिल जाते थे लेकिन इस बार न तो मौसमी फल की बिक्री हो रही है, न ही खूब बिकने वाले सिंघाड़े की. सिंघाड़ा बेचने वाले विक्रेता इस बार परेशान है कि ऐसा ही चलता रहा तो उन्हें खाने के लाले पड़ जाएंगे.
100 रुपए किलो से 50 रुपए हो गई कीमत पर खरीददार नहीं
भीलवाड़ा में ठेला लगाकर सिंघाड़ा बेचने वाले देवीलाल कहते हैं कि मैं 15-20 वर्षों से सिंघाड़ा बेच रहा हूं लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ. इस बार कोरोना के कारण काम मंदा है. लोग सिंघाड़ा खरीदने से डर रहे हैं. कभी 100 रुपए किलो बिकनेवाला सिंघाड़े की कीमत 50 रुपए हो गई है लेकिन खरीददार नहीं है.
बिक्री नहीं होने से विक्रेता परेशान वहीं विक्रेता कैलाश माली का कहना है कि लोगों की आर्थिक हालत भी खराब है. उनके पास पैसा नहीं है. ऐसे में वो क्या सिंघाड़ा खरीदेंगे. हालांकि, कोरोना से लड़ने के लिए बेहतरी इम्यूनिटी का होना आवश्यक है और बहुत कम लोगों को पता है कि सिंघाड़ा इम्यूनिटी बढ़ाने में मददगार है.
वनस्तपति शास्त्री ने बताया सिंघाड़ा का गुण
भीलवाड़ा के राजकीय माणिक्य लाल वर्मा महाविद्यालय के वनस्पति शास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. बीएल जागेटिया सिंघाड़े की खूबी के बारे में बताते हैं कि सिंघाड़ा पोषक तत्वों से परिपूर्ण है. सिंघाड़ा (shingada) का वानास्पतिक नाम Trapa natans Linn. var-bispinosa है. सिंघाड़ा को इंग्लिश में Water caltrops (वॉटर केलट्रॉपस्) कहते हैं. इसका दूसरा नाम डेविल नट व लिंग नट भी नाम है.
सिंघाड़े में अनेक रोग ठीक करने के गुण मिनरल से भरपूर है सिंघाड़ा(Water chestnut is enrich in nutrients)
डॉ. बीएल जागेटिया कहते हैं कि सिंगाड़ा (Singhada) एक ऐसा फल है, जो त्रिकोण आकार का और दो सिंग वाला होता है लेकिन इसके अनोखे आकार की तरह फायदे (singhare ke fayde) भी अनगिनत होते हैं. सिंगाड़ा (shinghara fruit) मूल रुप से सर्दी के मौसम में पाया जाता है. यह जल मे तैरता हुआ रहता है. इनकी पतली जड़ पानी के अंदर कीचड़ में रहती है. इन में पोषक तत्व पोटैशियम (potassium rich) रिच सोर्स है और इसमें सोडियम (sodium) लो होता है. इसके साथ आयरन (iron), कैल्शियम (calcium), फास्फोरस (phosphorus) इत्यादि पोषक तत्व पाए जाते हैं और कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate) की मात्रा इन में ज्यादा होती है.
छोटे से दिखनेवाले फल में अनेक रोग ठीक करने के गुण
- पित्त और वात को कम करने वाला
- कफ खत्म करता है
- खाने में रूची बढ़ाने वाला
- यह रक्तपित्त और मोटापा कम करने में फायदेमंद
- सूजन और दर्द को कम करता है
- ब्रेस्ट साइज को बढ़ाने वाला
- वीर्य या सीमेन को गाढ़ा करता है
- बुखार कम करने वाला
- भूख बढ़ाने वाला
- कमजोरी कम करता है
- गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान
- बालों के लिए फायदेमंद
- बुखार और घबराहट में फायदेमंद
सिंघाड़ा अधिकांश बीमारियों में रामबाण (Benefits of eating water chestnut) का काम करता है. हालांकि, जिन्हें सिंघाड़े के गुण पता है, वो इक्के-दुक्के लोग सिंघाड़ा खरीदते नजर आते हैं. वहीं सिंघाड़ा खरीदने आए गोपाल वैष्णव ने कहा कि मैं सिंघाड़ा खरीदने आया हूं. यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है. मैंने 50 रूपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदा है क्योंकि इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है.
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तीन कोने वाले इस फल में औषधीय गुण है. फिर भी कोरोना काल में इसकी बिक्री नहीं होने से सिंघाड़ा विक्रेता परेशान है. लोगों को इस फल की गुण (Benefits of water chestnut) की जानकारी मिले तो जाहिर है वो इसे कोरोना काल में जरूर खरीदना पसंद करेंगे.