भीलवाड़ा. होली के त्योहार पर भीलवाड़ा में पर्यावरण प्रदूषण नहीं हो, पेड़ पौधे की कटाई नहीं हो इसके साथ ही गाय के गोबर का उपयोग हो इसी उद्देश्य को लेकर भीलवाड़ा शहर से 10 किलोमीटर दूर माधव गौशाला एवं अनुसंधान केंद्र ने अनूठी पहल की है. जहां गौशाला में देसी गाय के गोबर से कंडो का निर्माण किया जा रहा है. इन कंडो से भीलवाड़ा शहर में होलिका दहन किया जायेगा.
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जहां गौशाला मैं पाली जा रही देसी गाय के गोबर से कंडो का निर्माण किया जा रहा है और इन कंडो को रियायती दर पर बेचकर भीलवाड़ा शहर में होली का दहन किया जा सके. ईटीवी भारत की टीम माधव गौशाला एवं अनुसंधान केंद्र पहुंची जहां होली के 15 दिन पहले से ही काफी मात्रा में कंडो का निर्माण किया जा रहा है. जहां अब तक दो लाख कंडो का निर्माण किया जा चुका है और होली तक कंडे बनाये जायेंगे.
देसी गाय के गोबर से कंडो का निर्माण किया जा रहा जहां माधव गौशाला एवं अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष गोविंद सोडाणी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि "गऊ विश्वस्य मातरम" गाय हमारी गौ माता है, उनके गोबर से हम माधव गौशाला एवं अनुसंधान केंद्र में होली दहन के लिए देसी गाय के गोबर से कंडे बनाए जा रहे हैं. उन कंडो से होली जलाने का हमारा उद्देश्य है. होली जलाने के दौरान जो पेड़ पौधे काटे जाते हैं वह बच सके जिससे पर्यावरण भी शुद्ध रहे. साथ ही गाय का महत्व समझते हुऐ विगत 4 सालों से गौशाला में कंडे बनाए जा रहे हैं. 2 रूपये प्रति कंडो की दर से हम मार्केट मे होली दहन के स्थान तक पहुंचाएंगे.
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वहीं, माधव गौशाला एवं अनुसंधान केंद्र के व्यवस्थापक अजीत सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि होली के एक महीने पहले से यहां को गाय के गोबर से कंडो का निर्माण किया जा रहा है. इन कंडो से होली दहन किया जायेगा इसके पीछे प्रमुख उद्देश्य है कि पर्यावरण भी बच सके साथ ही होली दहन के बाद जो कडों की राख होती है और राख भी किसानों के खलियान में उपयोग हो सके.
गौशाला में बने सांवलिया मंदिर के पुजारी प्रकाश चंद्र शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि होली के दिन अनगिनत पेड़ काटकर होलिका दहन किया जाता है. जिससे पेड़ों की कटाई भी अंधाधुंध हो रही है और पर्यावरण भी शुद्ध नहीं रहता है. जबकी देसी गाय के गोबर के कंडे जलाने से वायु शुद्ध रहती है जिससे मानव जीवन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है.
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वहीं, होली के पूर्व कंडे बना रही महिला रामू देवी ने कहा कि मैं यहां गाय के गोबर से कंडे बनाने का काम करती हूं और इस महिला का जुनून ऐसा है कि होली के कंडे बनाने के दौरान होली के और फाल्गुन के गीत गा रही है. उन्होंने अपनी खुशी का इजहार ईटीवी भारत पर भी किया.