भरतपुर. सीकरी क्षेत्र के गांव ककराला में आदिबद्री क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन के लिए बनाए गए अवैध रास्ते को खुलवाने को लेकर शनिवार को पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे. इसके बाद रास्ते को वैध बताकर जब अधिकारी रास्ते को खुलवाने का प्रयास करने लगे तो अधिकारियों को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा. जिसके बाद ग्रामीणों के विरोध के चलते अधिकारियों को वापस लौटना पड़ा. ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन अवैध खनन करने वालों के साथ मिलकर काटे गए रास्ते को भरवाना चाह रहा है जिससे अवैध खनन सामग्री लदे वाहन निकल सके.
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जानकारी के अनुसार गांव ककराला में आदिबद्री के पहाड़ों में हो रहे अवैध खनन को लेकर बनाए गए अवैध रास्ते को खुलवाने जब अधिकारी अमला पहुंचे तो इस पर गुस्साए ग्रामीणों ने प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए रास्ते को नहीं खोलने दिया. काफी समझाइश के बाद भी जब बात नहीं बनी तो अधिकारी फौरन वापस लौट गए. अपको बता दें कि गांव ककराला में गैरमुमकिन पहाड़ है. जिसमें लीज धारक ओमप्रकाश ने सिवायचक में से अवैध रास्ता निकाल लिया.
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अवैध रूप से बनाए गए रास्ते को कुछ दिन पूर्व ग्राम पंचायत और विकास अधिकारी ने कटवा दिया था. और ग्रामीणों ने बताया कि आदिबद्री के पहाड़ों पर प्रशासन की मिलीभगत से अवैध खनन हो रहा है. खनन माफियों ने खनन के लिए अवैध रास्ता बना लिया है. जिसको ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत के सहयोग से काट दिया था. लेकिन शनिवार को सीकरी तहसीलदार प्रकाश चन्द मीणा और नगर के पुलिस उपाधीक्षक सत्यप्रकाश मीणा मय पुलिस बल के साथ अवैध रास्ते को जुड़वाने गांव ककराला पहुंचे और रास्ते को खोलने लगे.
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लेकिन ग्रामीणों ने अवैध रास्ते को लेकर विरोध जताया. हंगाम होने पर अधिकारी अमला वापस लौट गाए. बता दें कि ग्रामीणों जनों ने प्रशासन पर खनन माफिया से मिलीभगत का आरोप लगाया है. इसके सबंध में स्थानीय विधायक वाजिब अली ने भी जिला कलक्टर को अवगत कराकर जांच के लिए एक टीम गठित करने को कहा है. वहीं तहसीलदार प्रकाश चन्द मीणा का कहना है कि वहां वैध लीज है और लीज धारक ने रास्ता बनाया है. इसलिए रास्ता अवैध नहीं है.