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भरतपुरः दुकानदार करा रहे थे बालश्रम, मानव तस्करी विरोधी यूनिट ने कराया मुक्त

भरतपुर में मानव तस्करी विरोधी यूनिट, चाइल्ड लाइन और बयाना पुलिस की ओर से शुक्रवार को बयाना कस्बा और ग्रामीण क्षेत्रों में बाल मजदूरी के खिलाफ अभियान चलाया गया. इस दौरान टीम ने कुछ दुकानों से शहर के नाबालिक बच्चों को बाल मजदूर से मुक्त कराया.

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Published : Nov 2, 2019, 12:01 AM IST

भरतपुर की खबर, child labour, Operation Asha

भरतपुर. ऑपरेशन आशा के तहत मानव तस्करी विरोधी यूनिट, चाइल्ड लाइन और बयाना पुलिस की ओर से शुक्रवार को बयाना कस्बा और ग्रामीण क्षेत्रों में बाल मजदूरी के खिलाफ अभियान चलाया गया. इस दौरान टीम ने कुछ दुकानों से शहर के नाबालिक बच्चों को बाल मजदूर से मुक्त कराया. साथ ही दुकानदारों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया. टीम ने परिजनों को अपने बच्चों से मजदूरी नहीं कराने की हिदायत भी दी.

यहां-यहां से मुक्त कराए बाल श्रमिक

जानकारी के अनुसार कार्रवाई के दौरान टीम को एक वेल्डिंग की दुकान पर नाबालिग बच्चा मजदूरी करते मिला. टीम ने कोतवाली पुलिस को वेल्डिंग की दुकान संचालक के खिलाफ शिकायत दी. मानव तस्करी विरोधी यूनिट भरतपुर के हैड कांस्टेबल पूरन चंद ने बताया कि अगावली गांव से खान वेल्डिंग की दुकान से 12 साल के एक बच्चे को, बयाना पंचायत समिति के समीप मां भगवती भोजनालय से 12 साल के अन्य बच्चे को मुक्त कराया. इसी तरह पंचायत समिति पर विनय ऑटो पार्ट्स की दुकान से व जयपुर होंडा केयर पंचायत समिति से भी एक एक बच्चे को मुक्त कराया. साथ ही दुकानदारों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया गया.

दुकानदार बच्चों से करा रहे थे बालश्रम

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टीम में ये थे शामिल

बाल मजदूर के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में राज्य अपराध शाखा भरतपुर प्रभारी पूरनचंद, चाइल्ड लाइन के कर्मचारी नंदराम, सुरजन सिंह सहित कोतवाली पुलिस से एसआई राजवीर सिंह, कांस्टेबल मोहन सिंह गुर्जर, धीरज गुर्जर, छत्रपाल सहित अन्य सदस्य शामिल थे. सभी बच्चों को बाल कल्याण समिति भरतपुर के लिए भेज दिया गया.

दुकानदारों को हिदायत, परिजनों को सीख

टीम ने कार्रवाई के दौरान अन्य दुकानदारों को सख्त हिदायत दी कि कोई भी दुकानदार अपनी दुकानों पर छोटे बच्चों से मजदूरी ना कराए, यह एक अपराध है. भविष्य में यदि दोबारा दुकानों पर नाबालिक बच्चों से काम लिया गया तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा अभिभावकों को सख्त हिदायत दी कि वे बच्चों को मजदूरी पर ना भेजकर स्कूलों में भेजे. बच्चों के ये दिन पढ़ते लिखने के होते है.

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