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कामां में कामेश्वर महादेव ने कामदेव को किया था भष्म, 5000 हजार साल पुराना है मंदिर

कामां के कामवन में महाशिवरात्रि के पर्व पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. मान्यता है कि ये मंदिर 5000 हजार साल पुराना है. कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के परपोते बद्रीनाथ ने इनकी स्थापना की थी. कामेश्वर महादेव ने कामदेव को कामवन में ही भस्म किया था. जिसके बाद इनका नाम कामेश्वर महादेव पड़ा.

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कामां में कामेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना

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Published : Mar 11, 2021, 6:52 PM IST

कामां (भरतपुर). महाशिवरात्रि का पर्व तो पूरे देश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन कामां कामवन में महाशिवरात्रि के पर्व पर कस्बा के प्रसिद्ध कामेश्वर महादेव का पूर्वजों द्वारा एक अलग ही महत्व बताया गया है. जिसके चलते कामां कस्बा के अलावा दूरदराज के हजारों की तादाद में लोग महाशिवरात्रि पर जल चढ़ाने आते हैं. कामवन की यह कहावत है कि काम बनाने से ही कामवन जाते हैं. जिसके बाद कामेश्वर महादेव मंदिर पर महाशिवरात्रि के पर्व पर हजारों लाखों लोग आते हैं और जल चढ़ाकर अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं.

कामां में कामेश्वर महादेव मंदिर में पूजा अर्चना

उल्लेखनीय है कि कामां कामवन क्षेत्र जो भगवान श्री कृष्ण की कीड़ा स्थलीय है. यहां भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं से सबको रस मग्न किया है और उनके प्रपोत्र वज्रनाभ ने विरासतों से सजाया है. श्रीकृष्ण के गौलोक गमन के पश्चात् वज्रनाभ मथुरा के राजा हुए. उस काल में ब्रज वीरान हो चुका था. वज्रनाभ ने परीक्षित और शांडिल्य ऋषि की सहायता से श्रीकृष्ण के लीला स्थलों की पुनः स्थापना की. कामां अर्थात काम्यवन में उनके की ओर से तीन विग्रह पधराए गये. जिनमें कामेश्वर महादेव प्रसिद्ध है. कामेश्वर महादेव की गणना ब्रज के प्रमुख शिवालयों में की जाती है.

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ब्रज चौरासी कोस में चार महादेव हैं, विराजमान जिनमें प्रमुख हैं कामेश्वर महादेव

ब्रज चौरासी कोस में चार महादेव विराजमान हैं. जिनमें करीब 5000 साल पूर्व कामां के कामेश्वर महादेव विराजमान हैं. कामवन कामां में कामेश्वर, मथुरा में भूतेश्वर, वृंदावन में गोपेश्वर और गोवर्धन मत चकलेश्वर महादेव विराजमान हैं. कंबन के कामेश्वर महादेव राजा के नाम से जाने जाते हैं, जो करीब 5000 वर्ष से अधिक वर्ष पहले द्वापर युग में इनकी स्थापना हुई थी. भगवान श्री कृष्ण के परपोते बद्रीनाथ ने इनकी स्थापना की थी. कामेश्वर महादेव ने कामदेव को कामवन में ही भस्म किया था. जिसके बाद इनका नाम कामेश्वर महादेव पड़ा. जिसका अर्थ होता है. कामनाओं को पूर्ण करने वाले कामेश्वर महादेव जिसके बाद यह कहावत है. कामवन आए तो काम बन जाते हैं इसका अर्थ होता है कि कामवन में आने से ही लोगों की मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं और उसमें भी अगर कामेश्वर महादेव की पूजा अर्चना की जाए तो वह धन्य हो जाता है.

मंदिर में कोरोना वायरस गाइडलाइन की की जा रही है पालना

कोरोनावायरस संक्रमण के चलते पूरे देश में कोरोनावायरस संक्रमण से सावधानी के लिए गाइडलाइन जारी की गई है जिसके चलते मंदिर में भी गाइडलाइन की पूर्ण तरीके से पालना की जा रही है लेकिन ब्रज क्षेत्र में लोगों का मानना है कि यहां आने से ही मात्र काम बन जाते हैं, तभी तो कामवन कहते हैं इसलिए लोग हर संकट और मुसीबत में भी जल लेकर मंदिर पर पहुंचते हैं लेकिन मंदिर प्रशासन द्वारा राज्य सरकार द्वारा की गई सभी गाइडलाइनओं की पालना भक्तों से कराने की अपील की जा रही है.

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मंदिर पर जलाभिषेक करने के बाद ही सफल होती है यात्रा

ब्रज के चार प्रमुख महादेवों में से एक कामा के कामेश्वर महादेव पर महाशिवरात्रि के अवसर पर देर रात्रि से भगवान आशुतोष का जलाअभिषेक करने के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है. जमुना और गंगा जल लेकर आ रहे कावड़ियों की ओर से जल चढ़ाकर भगवान शिव का अभिषेक किया जा रहा है.

डीग उपखंड क्षेत्र में महाशिवरात्रि का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है, जहां सुबह से ही शिव भक्त शिव मंदिरों में पूजार्चना करने पहुंच रहे हैं. इस दौरान रूपेश्वर महादेव, चौमेदा महादेव मंदिर सहित गणेश मंदिर में शिवभक्त शिवलिंग पर पंचामृत से अभिषेक कर पूजार्चना कर रहे हैं. इस मौके पर भक्त गंगा जी से कावड़ के साथ भगवान शिव का अभिषेक करने ढोल मंजीरे बजाते हुए मंदिरों में पहुंच रहे हैं.

वहीं एक ओर पुरूष और महिलाओं सहित युवावर्ग उपवास रखने के साथ ही शिव मंदिरों में पूजार्चना और घर में खुशियों की मनोती मांग रहे हैं. कामना पूर्ण करने के साथ ही कोरोना महामारी से विश्व को शीघ्र मुक्त करने की भगवान शिव से आराधना भी कर रहे हैं. महाशिवरात्रि के पर्व पर शिव मंदिरों में बम भोले के जयकारे गूंज रहे हैं.

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