ब्रजभूमि पर सिलिकोसिस निगल रही 'जिंदगियां' भरतपुर.जिले की खदानों में खनन के दौरान लापरवाही का सीधा असर खान श्रमिकों के स्वास्थ्य और उनकी जिंदगी पर पड़ रहा है. खदानों में खनन कार्य के दौरान नियमों का पालन नहीं करने के चलते सैकड़ों की संख्या में खान श्रमिक लाइलाज सिलिकोसिस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. इतना ही नहीं बड़ी संख्या में खान श्रमिक इस बीमारी की वजह से जान भी गंवा रहे हैं. ब्रजभूमि पर सिलिकोसिस ने बीते तीन साल में 700 से अधिक श्रमिकों की जिंदगियां निगल ली हैं.
तीन साल में 700 से अधिक मौत :राजस्थान सरकार के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018-19 से अब तक जिले में सिलिकोसिस से कुल 700 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. ये सभी खान श्रमिक थे, जिनमें सर्वाधिक मौतें रुदावल, रूपवास, बयाना, बंशी पहाड़पुर क्षेत्र में हुई हैं. रुदावल क्षेत्र के गांव खेड़ा ठाकुर में तो कोली मोहल्ला के अधिकतर परिवारों में से कोई न कोई सिलिकोसिस का शिकार हो चुका है.
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जिले में 2378 जीवित मरीज :जिले के रूपवास, रुदावल, बंशी पहाड़पुर, बयाना, कामां, पहाड़ी आदि क्षेत्रों में अधिकतर गरीब वर्ग के लोगों के रोजगार का साधन खदानों में मजदूरी करना है. खदानों में मजदूरी के दौरान ये लोग सिलिकोसिस की चपेट में आ रहे हैं. विभागीय आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में जिले में 2378 पंजीकृत सिलिकोसिस पीड़ित मरीज हैं.
सिलिकोसिस की चपेट में आते हैं खान श्रमिक लगातार लगाए जा रहे जांच शिविर :जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अविरल सिंह ने बताया कि इस साल जनवरी से अब तक जिले में नए 88 लोगों को सिलिकोसिस प्रमाणीकरण किया जा चुका है, करीब 80 की पेंडिंग हैं. जिले के बंशी पहाड़पुर, भुसावर, वैर आदि क्षेत्रों में हॉट स्पॉट चिह्नित कर लगातार चिकित्सा और जांच शिविर लगाए जा रहे हैं.
लोगों को कर रहे जागरूक :डॉ. अविरल सिंह ने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में शिविर लगाकर लोगों की स्वास्थ्य जांच के साथ ही उन्हें सिलिकोसिस से बचाव के उपाय बताए जा रहे हैं. उन्हें जागरूक किया जा रहा है. खदानों में जाकर खान संचालक और श्रमिकों को गीली छिद्र प्रणाली से खनन करने के लिए भी जागरूक किया जा रहा है, ताकि खनन कार्य के दौरान धूल, मिट्टी और पत्थर के कण न उड़ें.