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रेलवे के निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों ने खोला मोर्चा

मोदी सरकार 2 ने शुक्रवार को संसद में बजट पेश किया. इस दौरान रेल बजट को पेश करते हुए मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि रेलवे इन्फ्रा को 2018 से 2030 के बीच 50 लाख करोड़ के निवेश की आवश्यकता होगी. इसके लिए निजी भागीदारी बढ़ाई जाएगी. यानी रेलवे में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) का इस्तेमाल किया जाएगा.

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Published : Jul 5, 2019, 9:40 PM IST

रेलवे को पीपीपी मोड पर देने को लेकर कर्मचारियों का विरोध

भरतपुर.केंद्र सरकार की रेलवे को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी को लेकर रेलवे कर्मचारियों में रोष है. जिसका विरोध करते हुए कर्मचारियों ने कहा कि रेलवे का निजीकरण नहीं होने देंगे चाहे इसके लिए आंदोलन करना पड़े. रेलवे जंक्शन पर शुक्रवार को रेलवे कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही चेतावनी देते हुए कहा कि यदि रेलवे का निजीकरण किया गया तो कर्मचारी आंदोलन करने को मजबूर होंगे.

रेलवे कर्मचारी यूनियन ने कहा कि रेलवे देश की रीड की हड्डी की तरह है. लेकिन आज सरकार रेलवे का निजीकरण करने की मंशा बना रही है. जो गलत है और यदि निजीकरण किया गया तो रेलवे के कर्मचारी इसका जमकर विरोध करेंगे और आंदोलन करने को मजबूर होंगे.

रेलवे को पीपीपी मोड पर देने को लेकर कर्मचारियों का विरोध

प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने कहा कि रेलवे विभाग देश को सबसे ज्यादा आय देने वाला विभाग है. लेकिन आज सरकार उद्योगपतियों को रेलवे को सौंपने की तैयारी कर रहे है जो गलत है और कर्मचारी इससे आहत है. कर्मचारियों ने बताया की यदि रेलवे का निजीकरण होता है तो इससे ना केवल रेलवे को बल्कि देश की जनता को भी नुकसान भुगतना पड़ेगा.

बजट के दौरान मंत्री ने कहा- रेलवे में निजी भागीदारी बढ़ाई जाएगी
रेल बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि रेल ढांचे के लिए 2018 से 2030 के बीच 50 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है. इसको पूरा करने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशीप का इस्तेमाल किया जाएगा. बजट में रेलवे ट्रैक के लिए पीपीपी मॉडल को मंजूरी दी गई है. इसके जरिए रेल ट्रैक के विस्तार और सुधारीकरण के साथ स्टेशन के ढांचागत विकास पर जोर दिया जाएगा.

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