बाड़मेर. जिला मुख्यालय से महज 50 किलोमीटर दूर स्थित आकली ग्राम पंचायत में 3 गांव के सैकड़ों ग्रामीण पिछले 8 दिनों से स्थानीय लोगों को लिग्नाइट माइंस में रोजगार दिलाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन अब तक किसी ने उनकी सुध तक नहीं ली. प्रशासन की उदासीनता के चलते सैकड़ों की संख्या में महिलाएं, पुरुष और बच्चे इस ठंड में भी RSMML कंपनी के गेट के आगे डेरा डाले हुए हैं.
रोजगार को लेकर ग्रामीणों का प्रदर्शन एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे प्रभारी मंत्री डॉ. बीडी कला से जब मीडिया ने इस संबंध में सवाल किया तो उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को प्राथमिकता से रोजगार दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब बाड़मेर दौरे आए थे तब उनके साथ मैं और विधायक मेवाराम जैन ने जितने भी संबंधित प्रबंधकों से स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाने को लेकर चर्चा की थी.
जिस पर उन्होंने स्थानीय लोगों को रोजगार देने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि हमारी ओर से उन प्रबंधकों को कहा गया कि स्थानीय लोगों को प्राथमिकता से रोजगार देने के प्रयास किए जाएं. वहींं उन्होंने कहा कि धरने पर बैठे लोगों से जिला प्रशासन के लोग वार्ता कर समाधान निकालने के प्रयास करेंगे.
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वहीं, गांव की बुजुर्ग महिलाओं ने बातचीत में बताया कि कृषि पर आश्रित परिवारों की कंपनी वालों ने धीरे-धीरे सारी जमीन ले ली और स्थानीय लोगों को रोजगार भी कंपनी ने नहीं दिया. जिसके चलते ग्रामीण आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं और परिवार वालों की आर्थिक हालत भी बेहाल हैं. वहीं, धुएं और और राख की वजह से प्रदूषण भी फैलता जा रहा है, जिसके चलते लोग बीमार हो रहे हैं.
जिसके कारण मजबूरन उन्हें धरना देना पड़ रहा है. साथ ही ग्रामीणों का आरोप है कि अब तक किसी ने उनकी सुध तक नहीं ली है. बता दें कि पिछले 8 दिनों से आकली ग्राम पंचायत में 3 गांव के सैकड़ों की संख्या में लोग अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं.
ग्रामीणों की मांग है कि स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता मिले और खनन खदान में मंदिर का संपूर्ण निर्माण और विकास खनन से निकलने वाले धुएं और राख का स्थाई निराकरण हो. ग्रामीणों की मांग है कि प्रभावित क्षेत्रों में उच्च शिक्षा का प्रावधान और प्रभावित गांवों में बिजली, पानी के साथ ही स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाई जाए.