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बाड़मेरः कोरोना संकट काल में जसोल के गैर कलाकारों की सरकार से मदद की मांग

जसोल के गैर कलाकारों की जो अपनी आजीविका गैर नृत्य करके चलाते थे. कार्यक्रम में जितना पैसा उनके पास आता था उसी से अपने घर-परिवार का पेट पालते थे. आज के समय में उनके पास अपना पेट पालने के कोई विकल्प नहीं बचा है. कोरोना के चलते अपने घरों में बैठे है और उनके सारे कार्यक्रम निरस्त हो चुके हैं.

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गैर कलाकारों की सरकार से मदद की मांग

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Published : Apr 27, 2020, 10:39 AM IST

बालोतरा (बाड़मेर). कोरोना के इस संकट काल में देश के सभी वर्ग प्रभावित हुए है. इसमें एक ऐसा भी वर्ग है, जिसके डांस से ही घर का गुजरा चलता है. अपने शरीर पर भारी भरकम लाल आंगी पहनकर डांडियों चला करते थे, वो हाथ अब भला कैसे किसी से मदद मांगे.

गैर कलाकारों की सरकार से मदद की मांग

बता दें, कि जिले के जसोल के गैर कलाकारों की जो अपनी आजीविका गैर नृत्य करके चलाते थे. कार्यक्रम में जितना पैसा उनके पास आता था उसी से अपने घर-परिवार का पेट पालते थे. आज के समय में उनके पास अपना पेट पालने के कोई विकल्प नहीं बचा है. कोरोना के चलते अपने घरों में बैठे है और उनके सारे कार्यक्रम निरस्त हो चुके हैं. इन कलाकारों ने डांडिया से डांडिया मिलाते हुए योद्धा की तरफ अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए अपनी प्राचीन संस्कृति को जीवंत रखने के लिए कार्य किया जाता है.

देश के सभी बड़े मंचो पर इन्होंने लाल आंगी पहनकर नृत्य की प्रस्तुति दी है. राजस्थान की प्राचीन संस्कृति लाल आंगी गैर की प्रस्तुति इनके द्वारा देश प्रदेश के कई मंचों पर जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल, राजस्थान दिवस, शिल्पग्राम उत्सव उदयपुर, कैमल फेस्टिवल बीकानेर, मरु महोत्सव जैसलमेर, रीफ फेस्टिवल जोधपुर, गोवा फेस्टिवल गोवा, चंडीगढ़ फेस्टिवल, रणकपुर फेस्टिवल में दी जा चुकी है. इसके अलावा विदेशी धरती लेबनान, ट्यूनीशिया, इटली, कजाकिस्तान पर भी राजस्थान की लोक कला का लोहा मनवाया गया. अब इन कलाकारों का कहना है, कि सरकार द्वारा चाहे केन्द्र हो या राज्य स्तर पर उनको सहायत दी जाए जिससे गुजारा चला सके. लॉकडाउन के बाद होने वाले कार्यक्रम में जोश के साथ भाग ले सके.

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सरकार को करनी चाहिए इनकी मदद...

कोरोना संक्रमण के दौर में उनके पास मार्च से लेकर जून तक के कोई कार्यक्रम नहीं है. ऐसे में इनकी ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए, क्योंकि, यही चार महीने इनके कमाने के लिए होते है, जिससे इनके साल भर का गुजारा होता है. इसलिए सरकार को इनकी मदद के लिए कुछ विशेष इंतजाम करने चाहिए, ताकि ये अपनी कला को बचा के रख सके और सम्मान भी बचा सके. इनमें कई परिवार ऐसे भी है, जिनमें सभी लोग यही काम करते हैं. इतना ही नहीं, वे कई पीढ़ियों से यही काम कर रहे हैं. लोक नृत्य के कार्यक्रम कर अपना और अपने परिवार के पेट पालने का काम करते है और उनकी यही रोजी-रोटी है और तो और इनके इस काम के चलते लोग इन्हें काफी सम्मान की नजरों से देखते है और सम्मान भी करते है. ऐसे में वे हर किसी से इस लॉकडाउन के समय में कुछ मांग भी नहीं सकते.

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