बाड़मेर. कभी बिजली की समस्या से जूझ रहे रेगिस्तान बाड़मेर को अब सौर ऊर्जा के रूप में नया विकल्प मिल गया है. यहां सरकारी दफ्तरों से लेकर आम लोगों के घर की छतों पर सौर ऊर्जा की प्लेट नजर आने लगी है. खास बात है कि रेगिस्तानी इलाके में कभी किसी ने शायद सोचा नहीं होगा कि सौर ऊर्जा की खपत से बिजली की समस्या का समाधान होगा. सौर ऊर्जा से ना सिर्फ लोगों को फायदा हो रहा है, बल्कि पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर भी कम होने लगा है. देखें ये खास रिपोर्ट...
सरकारी दफ्तरों पर सोलर प्लांट...
बाड़मेर के अधिकांश सरकारी दफ्तरों में कई सालों पहले सौर ऊर्जा के प्लांट लगाए गए थे, उससे विभागों को सालाना लाखों रुपए की बचत हो रही है. बाड़मेर जिले के राजकीय पीजी महाविद्यालय, वन विभाग कार्यालय, रेलवे स्टेशन सहित कई सरकारी कार्यालय सौर ऊर्जा से रोशन हो रहे हैं. जिले के सबसे बड़े राजकीय अस्पताल में भी 222 किलोवाट का सोलर प्रोजेक्ट लगा हुआ है. इसी तरह वन विभाग कार्यालय में 10 किलो मेगा वाट का सोलर प्लांट लगा हुआ है.
हर साल लाखों की बचत...
बाड़मेर जिले के मेडिकल कॉलेज के सबसे बड़े अस्पताल राजकीय चिकित्सालय में भी सौर ऊर्जा प्लांट लगा हुआ है. शहर में इतनी भारी तादाद में कहीं पर भी छतों पर सौर ऊर्जा की प्लेट नहीं लगी हुई है. अस्पताल में जुलाई 2019 से सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन शुरू हो गया था. जिसके चलते राजकीय चिकित्सालय प्रशासन को साल भर में लाखों रुपये का फायदा हो रहा है. अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी बीएल मंसूरिया बताते हैं कि सौर ऊर्जा लगने के बाद विभाग को मोटी रकम बचत हो रही है.
अस्पताल में 222 किलोवाट का प्रोजेक्ट लगा हुआ है. इस संयंत्र की कोई भी लागत अस्पताल प्रशासन को नहीं चुकानी पड़ी है, क्योंकि सरकार और कंपनी के करार के तहत सरकारी बिल्डिंगों में यह पूरी तरीके से निशुल्क लगाया जा रहा है. इस प्लांट का निजी कंपनी और अस्पताल का 25 साल का करार है.