बांसवाड़ा.प्रदेश में खेती-बाड़ी में रसायनों के अंधाधुंध उपयोग के दुष्प्रभावों को देखकर सरकार इन दिनों चिंतित नजर आ रही हैं. खासकर कैंसर रोगियों के बढ़ने से सरकार अब रासायनिक पदार्थों के प्रयोग पर नए सिरे से विचार करती दिख रही है. राज्य के कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया के बयानों से तो कुछ ऐसा ही आभास हो रहा है. बांसवाड़ा आगमन के दौरान प्रेस कर्मियों से बातचीत में उनकी चिंता साफ नजर आई.
घर के बीज और जैविक खाद का इस्तेमाल ही करें, यही एक मात्र विकल्प अब शेष है : लालचंद कटारिया - जैविक खाद
प्रदेश में खेती-बाड़ी में रसायनों के अंधाधुंध उपयोग से कैंसर जैसी बीमारी महामारी का रूप ले रही है, जिससे सरकार काफी चिंतित नजर आ रही है. इस विषय में कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अपनी चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि ऐसे में हमें फिर से परंपरागत खेती पर ध्यान देना होगा.
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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों को अपनी उपज का वाजिब दाम दिलाने को कृतसंकल्प है. उन्होंने बताया कि डूंगरपुर, बांसवाड़ा, गंगानगर, हनुमानगढ़, कोटा और बूंदी हमारे प्रदेश के नहरी और उपजाऊ इलाके माने जाते हैं. इन जिलों में मक्का सहित कई फसलों की भरपूर उपज होती है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट सत्र के दौरान प्रोसेस प्लांट लगाने की घोषणा की थी. उसके अनुरूप किस जिले में किस प्रकार की फसलों की पैदावार अधिक होती है उस पर नजर रख रहे हैं. असेसमेंट के आधार पर संबंधित इलाकों में प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की योजना पर काम किया जा रहा हैं. माही बांध की नहरों की सफाई और टूट-फूट पर कृषि मंत्री ने कहा कि हालांकि यह उनका डिपार्टमेंट नहीं है, लेकिन इस संबंध में जिला कलेक्टर से बातचीत कर वे जानकारी लेंगे.