बांसवाड़ा.पंचायत राज चुनाव का पहला चरण खत्म होने के साथ ही भाजपा और कांग्रेस की नजर अब पंचायत समिति और जिला परिषद का ताज हासिल करने पर टिकी है. जिला प्रमुख पद पर दो दशक से कांग्रेस काबिज है. इस बार दोनों ही दलों के दावों पर विश्वास करें तो पंचायत समितियों और जिला प्रमुख पद के चुनाव काफी रोचक दिखाई दे सकते हैं. दोनों ही दल के अधिकांश सरपंच अपनी विचारधारा के होने का दावा कर रहे हैं. इन दावों पर जाएं तो इस बार जिला प्रमुख पद के लिए कांटे का मुकाबला देखा जा सकता है.
अब तक के पंचायत राज चुनावों के नतीजों पर नजर डालें तो 12 में से 9 बार कांग्रेस का जिला प्रमुख रहा है. साल 1961 से 65 तक जनता दल के केशवचंद्र भ्राता और साल 1988 से 1971 तक इसी पार्टी के जीथिंग भाई 3 साल तक जिला प्रमुख की कमान संभाले रहे. भारतीय जनता पार्टी केवल साल 1995 से 2000 तक लक्ष्मी निनामा के रूप में अपना जिला प्रमुख बना पाई. उसके बाद से भाजपा इस पद को लेकर वनवास ही काट रही है.
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साल 2000 के बाद से भाजपा कभी भी जिला प्रमुख पद पर नहीं पहुंच पाई. सत्ता का ताज कांग्रेस के हाथ में ही रहा या यूं कहे कि इन दो दशकों में सत्ता की चाबी मालवीय परिवार के हाथ में रही और बागी दौरा विधायक महेंद्र जीत सिंह मालवीय का परिवार इस पद पर बना हुआ है. साल 2000 से 2009 तक महेंद्र जीत सिंह मालवीय जिला प्रमुख रहे और इसके बाद साल 2009 से अब तक उनकी पत्नी रेशम मालवीया इस पद पर काबिज है. वहीं आगामी चुनाव में भी रेशम मालवीय को इस पद के लिए प्रमुख दावेदार माना जा रहा है. हालांकि पूर्व विधायक कांता भील और पूर्व संसदीय सचिव नानालाल निनामा का नाम भी चर्चा में हैं. लेकिन रेशम मालवीय जिला प्रमुख की दौड़ में फिलहाल सबसे आगे नजर आ रही है.
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