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राजस्थान रोडवेज में भी कॉस्ट कटिंग! पहली गाज गिरी संविदा चालकों पर

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Published : Nov 2, 2019, 1:32 PM IST

बांसवाड़ा में रोडवेज प्रबंधन की ओर से प्लेसमेंट कंपनी के जरिए काम कर रहे चालकों का अनुबंध खत्म कर दिया गया है. ऐसे में इस कंपनी के जरिए प्रदेश के विभिन्न डिपो पर 500 से अधिक चालक छह से सात हजार रुपए प्रतिमाह में काम कर रहे थे. प्रबंधन द्वारा 31 अक्टूबर को प्लेसमेंट कंपनी का अनुबंध नहीं बढ़ाया गया. इसके साथ ही कंपनी का अनुबंध 1 नवंबर को स्वत: ही समाप्त हो गया और इन चालकों को हटा दिया गया.

घाटे से जूझ रही राजस्थान रोडवेज, Rajasthan Roadways is facing losses

बांसवाड़ा. घाटे से जूझ रही राजस्थान रोडवेज अब शायद कॉस्ट कटिंग का सहारा ले रही है. इसके पहले चरण में रोडवेज प्रबंधन द्वारा प्लेसमेंट कंपनी के जरिए काम कर रहे चालकों का अनुबंध खत्म कर दिया गया है. इसके साथ ही 1 नवंबर से इनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई है. प्रदेश में इस प्रकार से करीब 500 से अधिक चालकों को हटा दिया गया है. अजमेर डिपो से 40 से अधिक चालक इसकी चपेट में आए हैं.

राजस्थान रोडवेज में कॉस्ट कटिंग

पिछले एक दशक से यह चालक बीकानेर की एक प्लेसमेंट कंपनी के जरिए राजस्थान रोडवेज बसों में सेवाएं दे रहे थे. इस कंपनी के जरिए प्रदेश के विभिन्न डिपो पर 500 से अधिक चालक छह से सात हजार रुपए प्रतिमाह में काम कर रहे थे. प्रबंधन द्वारा 31 अक्टूबर को प्लेसमेंट कंपनी का अनुबंध नहीं बढ़ाया गया. इसके साथ ही कंपनी का अनुबंध 1 नवंबर को स्वत ही समाप्त हो गया और चालकों को हटा दिया गया.

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चित्तौड़ से भरपाई

बांसवाड़ा से हटाए गए चालकों की भरपाई चित्तौड़गढ़ रोडवेज प्रबंधन कर रहा है, लेकिन पूरे राजस्थान में यह मुश्किल नजर आ रहा है. बांसवाड़ा डिपो से हटाए गए चालकों के बदले चित्तौड़गढ़ डिपो से प्रतिनियुक्ति पर दस चालक बांसवाड़ा भेजे गए हैं. इसी प्रकार कंडक्टरी कर रहे 5 चालकों को कार्यमुक्त कर गैराज में भेज दिया गया है. स्थानीय प्रबंधन अन्य कामकाज में जुटे चालकों को अपने मूल काम पर भेजने की कवायद में जुटा है.

नजर आने लगा असर

संविदा ड्राइवरों को हटाने के साथ ही रोडवेज सेवाओं पर इसका असर साफ नजर आने लगा है. चित्तौड़गढ़ डिपो से प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए ड्राइवर्स में से एक ने भी बांसवाड़ा डिपो में उपस्थिति नहीं दी है. ड्राइवरों की कमी के चलते शुक्रवार को जिला डिपो से विभिन्न रूटों पर 8 बसों को निरस्त करना पड़ा.

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जानकारों का कहना है कि इसका असर धीरे-धीरे साफ नजर आने लगेगा. चालकों की कमी के कारण कई रूटों पर बसों को बंद करना पड़ सकता है. बांसवाड़ा डिपो के चीफ मैनेजर रवि कुमार मेहरा के अनुसार हमें 17 में से 10 चालक प्रतिनियुक्ति पर चित्तौड़ से दिए गए हैं. वहीं पांच अन्य चालकों को अपने मूल स्थान पर भेजा गया है. कुल मिलाकर प्रारंभिक तौर पर हमने हटाए गए चालकों की भरपाई कर ली है. किन रूट पर बसों का संचालन करना है, इस संबंध में मुख्यालय के निर्देशों का इंतजार है.

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