अलवर. चुनावों में नारे हार जीत का महत्वपूर्ण समीकरण बनाते हैं. नारों का अपना अलग ही महत्व है. पिछले लोकसभा चुनाव प्रचारित भाजपा का नारा 'अबकी बार मोदी सरकार' ने जहां मोदी लहर का निर्माण किया तो वहीं राजस्थान विधानसभा चुनावों में चला नारा ' वसुंधरा तेरी खैर नहीं, मोदी तुझसे बैर नहीं 'ने भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंका. इस बार अलवर की सियासी जमीन पर भी कुछ ऐसे ही नारे प्रचारित हो रहे है.
खास बात यह है कि जिले में बड़े स्तर पर चल रहे इन नारों से दोनों ही बड़ी पार्टियों के प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ गई है. ' हम इन नारों पर ध्यान नहीं देते' प्रत्याशियों के ये कथन कुछ न कहकर भी बहुत कुछ कह जाते है.
जनता के बीच चल रहे दो नारे दरअसल अलवर में सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्म पर कुछ नारे चल रहे हैं. "जितेंद्र सिंह तुझसे बैर नहीं, राहुल तेरी खैर नही'. वहीं दूसरा नारा इस प्रकार है'बाबा तेरी खैर नहीं, मोदी तुझसे बैर नहीं" ये नारे कहीं न कहीं क्षेत्र में अप्रत्यक्ष लहर का निर्माण कर रहे है. जिससे भाजपा और कांग्रेस दोनो पार्टियों में खलबली मची हुई है. देखना होगा मतदान के दिन ऊंट किस करवट बैठता है लेकिन जनता के बीच चल रहे इन नारों से नेताओ की बैचेनी बढ़ गई और डेमेज कंट्रोल में जुटे हुए हैं.
बता दें कि अलवर में भाजपा की ओर से बाबा बालकनाथ और कांग्रेस की ओर से जितेंद्र सिंह मैदान पर उतरे है. वहीं बसपा ने इमरान खान पर दांव खेला है. जिले में हिन्दू मुस्लिम की राजनीति चर्म पर रहती है और मॉब लिंचिंग, गौतस्करी ओर गौकशी की वजह से क्षेत्र विश्वपटल पर बदनाम भी हो चुका है. लेकिन लोगों की ओर से जारी इन नारों से नेताओं की हवाइयां उड़ी हुई है.
कांग्रेस पार्टी के प्रत्यासी जितेंद्र सिंह का कहना है कि वे नारे और अफवाहों पर ध्यान नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि बाबा को पहले भी जनता देख चुकी है. मैं इन नारो और अफवाहों पर अपना समय बर्बाद नही करता हूं.
भाजपा प्रत्याशी बाबा बालकनाथ का कहना है जनता की अपनी सोच है और अपने विचार है. वे उसके आधार पर नारे बनाते हैं. हमें अपना काम करना हैं, जिस मार्ग ओर चल रहे है, उस पर आगे बढ़ना है.