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अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले का हुआ आगाज, मिट्टी के टिब्बों पर बढ़ने लगी चहल पहल

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 14, 2023, 6:00 PM IST

अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले की अनौपचारिक शुरुआत हो चुकी है. इस मेले को लेकर पशुपालकों में उत्साह है. धार्मिक मेले के साथ पुष्कर मेले का संयोग सदियों पुराना है. पुष्कर मेले में बड़े पैमाने पर पशुओं की खरीद फरोख्त होती है.

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अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले का आगाज

अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले का आगाज

अजमेर. अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेले का आगाज मंगलवार को भाई दूज के साथ हो गया. इसके साथ ही पुष्कर के मिट्टी के टिब्बों में पशुओं की चहलकदमी भी बढ़ने लगी है. मेले में ऊंट, घोड़ों की आवक ज्यादा रहती है, जबकि भैंस, गाय, बैल, गधा, बकरी, भेड़ की संख्या कम हो गई है.

पुष्कर मेले में पशुओं के साथ अलग-अलग क्षेत्र से बड़ी संख्या में पशुपालक भी आते हैं और अपने साथ सतरंगी संस्कृति की छटा पुष्कर में बिखेरते हैं. मिट्टी के टिब्बों पर ऊंट पालकों के डेरे लग चुके हैं. वहीं, बड़ी संख्या में घोड़ा पालक भी कैम्प लगा रहे हैं. मेले में ऊंट पालक पश्चिमी राजस्थान से बड़ी संख्या में आते हैं, वहीं अश्व पालक कई राज्यों से आते हैं.

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पशुओं के साथ पशुपालक भी लगाते हैं डेराः पुष्कर के टिब्बों पर पशुओं के साथ पशुपालक भी खुले आसमान के नीचे डेरा लगाते हैं. ग्रामीण परिवेश में उनका रहन-सहन, पहनावा और आभूषण विदेशियों को खूब लुभाता है. यही वजह है कि पुष्कर पशु मेले की पहचान विश्व पटल पर है. एक साथ हजारों की संख्या में पशुओं को एक साथ देखना विदेशी पर्यटकों के लिए रोमांच से कम नहीं है. खासतौर पर रेगिस्तान का जहाज ऊंट विदेशी पर्यटकों को खूब पसंद आता है. मेले के दौरान पशुओं की होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताएं मेले का आकर्षण रहती हैं. इसमें ऊंट घोड़े का श्रृंगार और नृत्य काफी पसंद किया जाता है.

सदियों से जारी है पशु मेलाःपुष्कर में पशु मेला सदियों से लगता आया है. दरअसल पुष्कर जगत पिता ब्रह्मा की नगरी और तीर्थराज पुष्कर की पवित्र धरा है. हिंदुओं का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल पुष्कर है. यहां जगत पिता ब्रह्मा मंदिर के दर्शन करने के साथ-साथ तीर्थ गुरु पुष्कर राज सरोवर में पितरों के निमित पूजा अर्चना करने का विधान है. पुराणों में भी पुष्कर के धार्मिक महत्व का उल्लेख है. पुष्कर के धार्मिक महत्व को देखते हुए सदियों से यहां बड़ी संख्या में तीर्थ यात्री आते रहे हैं. तीर्थ यात्री अपने साथ बड़ी संख्या में पशु भी लाया करते थे. उस समय पशु ही धन हुआ करता था. ऐसे में आवश्यकता पड़ने पर पशुओं को खरीदना और बेचना यहां शुरू हो गया. धीरे-धीरे पशुओं की खरीद फरोख्त बढ़ने लगी और मेले का रूप ले लिया. पुष्कर पशु मेला धीरे-धीरे सात समुंदर तक विख्यात हो गया.

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खुटा चिट्ठी पशुपालकों को देना हुआ शुरूःअजमेर में जिला पशुपालन विभाग में संयुक्त निदेशक डॉ नवीन परिहार ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला का शुभारंभ हो गया है. पशुपालकों को खुटा चिट्ठी देना (पंजीयन) शुरू कर दिया है. पशुओं के के लिए खेलिया साफ करके पानी से भर दी गई है. पशुपालकों के लिए बिजली की व्यवस्था भी की जा रही है. डॉ परिहार ने बताया कि ऊंट पालकों ने ऊंटों की चराई के लिए भी स्थान उपलब्ध करवाने की मांग की है. उन्होंने बताया कि प्रयास किए जा रहे हैं कि हम उन्हें अच्छी सुविधा दें. उन्होंने बताया कि गत वर्ष ऊंटो में बीमारी लगने के कारण उन्हें हटा दिया गया था. इस बार ऊंट पालकों में भी काफी उत्साह है.

व्यापारियों को आएगी समस्याःअजमेर में पशु पालकों को चुनाव की वजह से समस्या का सामना करना पड़ेगा. दरअसल चुनाव की वजह से लोग 50 हजार से अधिक कैश अपने पास नहीं रख सकते हैं. ऐसे में बाहर से आने वाले व्यापारी कैश में पशु नही खरीद पाएंगे. मेले में ज्यादत्तर पशु पालक और व्यापारी अशिक्षित आते हैं जो ऑनलाइन या चेक का सिस्टम नहीं जानते हैं. ऐसे में उनके सामने कैश की समस्या खड़ी हो सकती है. इस कारण पशुओं की खरीद भी प्रभावित हो सकती है. घोड़ा पालक बंटी टंडन ने बताया कि करीब 20 वर्षों से वह हर मेले में अपने घोड़े लेकर आते हैं. टंडन ने बताया कि चुनाव के कारण पशुपालकों और व्यापारियों को समस्या हो सकती है. घोड़ापालक ने बताया कि मेले में 4 से 5 लाख रुपए से कम कोई घोड़ा नहीं मिलता है. बिक्री और खरीद पर चुनाव का असर पड़ेगा.

ऊंट पालकों की है पानी समस्याःबातचीत में ऊंट पालकों ने बताया कि गत वर्ष बीमारी के कारण पशु मेला नहीं भर पाया था. इस कारण पशुपालकों को काफी परेशानी और नुकसान हुआ था, लेकिन इस बार पशुपालकों में उत्साह है और पशुओं की अच्छी बिक्री की उम्मीद है. एक पशुपालक ने बताया कि पशुओं के पीने के लिए पानी की समस्या आ रही है. कभी-कभी पानी के टैंकरों से खेलिया भर दी जाती है, लेकिन बीते दो दिन त्यौहार के कारण खेलियो में पानी नहीं भरा जा रहा है, जिसके कारण पशुओं को पानी पिलाने में समस्या आ रही है. ऊंटपालक ने बताया कि ऊंटो के दाम 25 हजार से लेकर 70 हजार रुपए है.

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