अजमेर.राजस्थान के पुष्कर में 4 महीने पहले 11 साल की मासूम के साथ हुए रेप और हत्या के मामले में कोर्ट ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है. पॉक्सो एक्ट प्रकरण के विशेष न्यायालय की संख्या-1 ने आरोपी को फांसी की सजा दी है.
अजमेर में पॉक्सो एक्ट प्रकरण में किसी आरोपी को फांसी की सजा का यह पहला मामला है. पुष्कर थाने के गांव होकरा में 22 जून 2021 को गांव के ही एक युवक ने बकरियां चरा रही एक 11 साल की मासूम के साथ रेप किया और उसके बाद बालिका की नृशंस हत्या कर दी. पुलिस ने आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर लिया था.
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वहीं घटना के 3 दिन बाद ही पुलिस ने न्यायालय में चालान पेश किया था. इस मामले में अजमेर की पॉक्सो एक्ट प्रकरण की विशेष न्यायालय संख्या-1 में अभियोजन पक्ष ने 20 गवाह और 51 दस्तावेज आरोपी के खिलाफ पेश किए. मामले को गंभीर मानते हुए आरोपी सुरेंद्र उर्फ सत्तू को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है.
दरिंदे ने पत्थर से कूंचा था मासूम का सिर
22 जून 2021 को पुष्कर थाना क्षेत्र के गांव में लॉकडाउन के दौरान ही 11 साल की मासूम बकरियां चराने के लिए जंगल में गई थी. अपर लोक अभियोजक रूपेंद्र परिहार ने बताया कि जंगल में पहले से ही मौजूद आरोपी मासूम को बहला-फुसलाकर पहाड़ी पर ले गया. जहां उसने नाबालिग के साथ रेप किया. जिसके बाद नाबालिग की हालात बिगड़ गई, तो दरिंदे ने नाबालिग के सिर पर तीन बार बड़े पत्थर से वार किया और गांव में आकर छुप गया.
20 गवाह, 51 दस्तावेज, दोषी को मिली फांसी
वारदात की सूचना मिलते ही पुष्कर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. इस रेप और हत्या से लोगों में काफी आक्रोश था. लिहाजा मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने वारदात के तीसरे दिन ही कोर्ट में चालान पेश कर दिया. परिहार ने बताया कि प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से 20 गवाह और 51 दस्तावेज पेश किए गए थे. कोर्ट ने मामले को गंभीर माना और फांसी की सजा सुनाने के साथ सवा लाख रुपये का जुर्माने से दंडित किया है. प्रकरण में चिकित्सक के बयान और राय के अलावा डीएनए एवं एफएसएल रिपोर्ट अति महत्वपूर्ण साक्ष्य रहे जिसके आधार पर आरोपी को सजा दी गई.
फांसी सजा के बाद भी दोषी के चहरे पर नहीं थी शिकन
11 साल नाबालिग के साथ रेप और नृशंस हत्या करने के बाद भी आरोपी को कोई पछतावा नहीं है. सजा सुनाए जाने के दौरान भी दरिंदे के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी. कोर्ट ने सजा सुनाने के साथ कहा है कि नाबालिग के साथ पशू जैसा गंभीर और घिनौना अपराध किया है. उसके सिर पर पत्थर मार-मार कर निर्मम हत्या की गई है. इस अपराध में दुर्बलतम श्रेणी की धारणा से समाज में आक्रोश और भय का माहौल पैदा हो गया है. इस जघन्य वारदात के बाद दोषी को पश्चाताप हो ऐसा प्रकट नहीं होता है. नाबालिग के साथ अपराध से सामाजिक मूल्य खराब हुए हैं. और बच्चियों की सुरक्षा को लेकर ऐसी धारणा से समाज भयभीत है. दोषी की पूर्व परिचित होते हुए भी निर्दयी और शर्मनाक डरावनी धारणा है. ऐसे में आजीवन सजा दिया जाना न्याय की दृष्टि से पर्याप्त नहीं होगा. इसलिए मृत्युदंड से कम सजा दिया जाना इस परिस्थिति में कोई कारण नहीं है.