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दूसरे कारसेवकों को बचाने के लिए दी अपने प्राणों की आहुति, बेखौफ होकर हाथ में थाम लिया था बम

Ram Mandir Pran Pratishtha, अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. इसको लेकर देश व प्रदेश में उत्सव का माहौल है. वहीं, इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए साधु-संतों व राजनेताओं के इतर उन कारसेवकों के परिजनों को भी आमंत्रित किया गया है, जिन्होंने राम मंदिर के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी. राम के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले अजमेर के अविनाश माहेश्वरी के परिजनों को भी आमंत्रित किया गया है. ऐसे में ईटीवी भारत ने दिवंगत अविनाश माहेश्वरी के पिता माणक माहेश्वरी से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कई ऐसी घटनाओं का जिक्र किया, जिसके बारे में जान आपकी भी आंखें नम हो जाएगी.

Ram Mandir Pran Pratishtha
Ram Mandir Pran Pratishtha

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 18, 2024, 1:36 PM IST

Updated : Jan 18, 2024, 4:44 PM IST

दिवंगत अविनाश माहेश्वरी के पिता माणक माहेश्वरी

अजमेर.आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए करीब 8 हजार लोगों को आमंत्रित किया गया है. इनमें चार हजार संत व राजनेताओं समेत बड़े शख्सियत शामिल हैं. इसके साथ ही उन कारसेवकों के परिजनों को भी आमंत्रित किया गया है, जिन्होंने कारसेवा के दौरान अपने प्राणों की आहुति थी. वहीं, राम के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले अजमेर के अविनाश माहेश्वरी के परिजनों को भी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है. ईटीवी भारत ने दिवंगत अविनाश माहेश्वरी के पिता माणक माहेश्वरी से खास बातचीत की.

कुल के दीपक ने राम के लिए दी प्राणों की आहुति :अजमेर के फॉयसागर रोड स्थित प्रेम नगर निवासी माणक माहेश्वरी और उनका परिवार 6 दिसंबर, 1992 के दिन को याद कर आज भी गमगीन हो जाता है, क्योंकि इस दिन ने माहेश्वरी परिवार को ऐसी क्षति पंहुचाई, जिसकी भरपाई संभव नहीं है. खैर, माहेश्वरी परिवार को इस बात की तसल्ली है कि जिस उद्देश्य के लिए उनके कुल के दीपक अविनाश ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, वो अब पूरा होने जा रहा है. दिवंगत अविनाश माहेश्वरी के पिता माणक माहेश्वरी और उनकी मां अक्षयी माहेश्वरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है. दोनों गुरुवार को अयोध्या के लिए रवाना होंगे.

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आज भी खलती है बेटे की कमी :इधर, अयोध्या जाने से पहले ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए अविनाश माहेश्वरी के पिता माणक माहेश्वरी ने कहा, ''अविनाश की कमी आज खलती है. भले ही हमारे आंखों के आंसू सुख गए हो, लेकिन हम अपने लाल को कैसे भूल सकते हैं.'' माणक माहेश्वरी ने आगे बताया, ''हमें अयोध्या में होने वाले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है. हमने अयोध्या जाने का कार्यक्रम बना लिया है और गुरुवार को हम वहां के लिए रवाना होंगे.''

अजमेर से गए थे 28 कारसेवक :माणक माहेश्वरी मेडिकल विभाग से सेवानिवृत्त है. उन्होंने बताया, ''उनका बेटा अविनाश तब कॉलेज में पढ़ता था. वो स्नातक द्वितीय वर्ष का छात्र था. उस वक्त अयोध्या में राम जन्मभूमि को लेकर विवाद गरमाया था. विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस ने लोगों को कारसेवा के लिए आह्वान किया. अजमेर से विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी जितेंद्र बहल के नेतृत्व में 28 कारसेवक अयोध्या गए थे. उसमें उनका बेटा अविनाश भी शामिल था.'' उन्होंने बताया, ''घर से अनुमति लेकर उनका बेटा अयोध्या के लिए निकला था. मैं मेडिकल विभाग था. इस वजह से मेडिकल के बारे में कुछ जानकारी अविनाश को भी थी. लिहाजा अयोध्या में कारसेवा के दौरान उसे मेडिकल टीम में लगाया गया. विवादित ढांचे को गिराया जा रहा था, उसमें कोई अगर कोई घायल होता था तो उसे तत्काल मेडिकल एंबुलेंस से फैजाबाद अस्पताल ले जाया जाता था.''

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वस्तु जान हाथ लिया था बम : उन्होंने बताया, ''6 दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचा गिराया गया तो कई लोग ऊपर से गिर कर जख्मी हो गए थे. उनमें भरतपुर का एक युवा राज बहादुर भी शामिल था, जिसको एंबुलेंस से फैजाबाद ले जाया जा रहा था, लेकिन कुछ दूरी पर अविनाश एम्बुलेंस से यह कहकर उतर गए कि वो अन्य घायलों को लेकर आ रहे हैं. इसी बीच रास्ते से गुजरते वक्त अविनाश ने अपनी ओर कोई वस्तु आते देखी. वो क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी थे, सो उसे लपक लिया, लेकिन वो कोई वस्तु नहीं, बल्कि बम था. वहीं, अगर बम अविनाश के हाथ में फट जाता तो कोई लोगों की मौत हो सकती थी. ऐसे में जब अविनाश को बम के बारे में पता चला तो वो दूसरे लोगों से अलग हो गए और इतने देर में बम फट गया. बम के छर्रे अविनाश के गले और चेहरे पर लगे थे. इसके बाद घायल अविनाश को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई.''

सूची में शामिल थे सात कारसेवकों के नाम : माणक माहेश्वरी ने बताया, ''1992 की सूची में कुल सात कारसेवक थे, जिन्होंने बलिदान दिया था. 1990 में मुलायम सरकार में कारसेवकों पर गोलियां चलाई गई थी. कई कारसेवक मारे गए थे, उनमें से कई लोगों के नाम पते तक का पता नहीं चल सका था. ऐसे में उनके शवों को सरयू नदी में बहा दिया गया. इधर, जिन कारसेवकों के परिजनों के पते मालूम थे, उन्हें 22 जनवरी को होने वाले कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है. वहीं, बीकानेर के कोठारी बंधु शरद-राम की बहन पूर्णिमा को भी आमंत्रित किया गया है.''

Last Updated : Jan 18, 2024, 4:44 PM IST

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