श्रीगंगानगर. पंजाब से आने वाली गंगनहर के पानी से जिलेभर में कुल 7 लाख 64 हजार एकड़ कृषि भूमि में सिंचाई होती है. सिंचाई के लिहाज से प्रदेश में 13 फीसदी हिस्सेदारी अकेले श्रीगंगानगर की है. इसी नहर के पानी से यहां सब्जियों से लेकर तमाम तरह के खाद्यान भी खेतों में उगाए जाते हैं. जिसमें सीवरेज का पानी, हेवी मेटल से लेकर कई तरह के फैक्ट्रियों के अपशिष्ट छोड़े जाते हैं. क्या आप जानते हैं कि यह फसलें और रोज काम आने वाली सब्जियां कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है.
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फसलों और सब्जियों की गंदे पानी से सिंचाई मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है. इस खतरे से बेखबर जहां किसान दूषित पानी से सिंचाई कर रहा है. वहीं इससे पैदा होने वाली फसलें और सब्जियां आपकी रसोई तक भी पहुंच रही हैं. जिले के कृषि अनुसंधान केंद्र के प्रभारी डॉ उमेद सिंह गंदे पानी के इस्तेमाल से तैयार होने वाली फसलों और सब्जियों को मनुष्य जीवन पर बहुत खतरा बताते हुए भयंकर बीमारियां फैलने की बात कह रहे हैं. लेकिन इस पानी को रोकने की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर है वे मौन हैं.
गंगनहर से आ रहे गंदे पानी से श्रीगंगानगर जिले में किसान खेतों में गेहूं, बाजरा, सरसों, चना, गन्ना, कॉटन सहित आलू, गाजर, गोभी, बैंगन, प्याज, पालक, खीरे, बंगा, ककड़ी सहित कई सब्जियां पैदा कर रहे हैं. जिला अस्पताल में पिछले दस सालों से सेवाएं दे रहे हड्डी जोड़ रोग विशेषज्ञ डॉ केके जाखड़ के अनुसार फैक्ट्रियों व सीवरेज के पानी में लेड, क्रोमियम, निक्कल जैसी भारी धातुएं होती हैं. जिनमें से कुछ जहरीली भी हैं. इसके अलावा डिटर्जेंट्स, कास्टिक सहित अन्य हानिकारक पदार्थ पाए जाते हैं जो मिट्टी के जरिए फसलों, फलों व सब्जियों में चले जाते हैं.