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नर्सिंग भर्ती 2013 : ANM से वंचित अभ्यर्थियों ने प्रभारी मंत्री को सौंपा ज्ञापन, 6719 पदों पर पहले नियुक्ति की मांग

नर्सिंग भर्ती 2013 में एएनएम से वंचित रहे अभ्यर्थियों ने मंगलवार को प्रभारी मंत्री बीडी कल्ला को ज्ञापन सौंप कर नियुक्ति की मांग की. उन्होंने कहा कि 6719 पदों पर पहले भर्ती की जाए.

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Published : Oct 15, 2019, 8:08 PM IST

बाड़मेर. नर्सिंग भर्ती 2013 में एएनएम से वंचित रहे अभ्यर्थियों की नियुक्ति को लेकर मंगलवार को नर्सिंग अभ्यर्थियों ने प्रभारी मंत्री बीडी कल्ला को ज्ञापन सौंपा और नियुक्ति दिलवाने की मांग की. बता दें कि राजस्थान नर्सिंग संघर्ष समिति के बैनर तले यह ज्ञापन दिया गया. जिसमें अभ्यर्थियों ने बताया कि कांग्रेस सरकार ने संविदा कर्मियों व फ्रेश अभ्यर्थियों को समान रूप से स्थाई रोजगार देने के लिए नर्सिंग भर्ती 2013 की एएनएम वैकेंसी 12,278 पदों पर फरवरी 2013 में विज्ञापन जारी किया था.

एएनएम से वंचित अभ्यर्थियों ने प्रभारी मंत्री को सौंपा ज्ञापन

जिसका निर्धारित पदों पर डॉक्यूमेंट का वेरिफिकेशन हो चुका था, लेकिन बोनस अंक के आधार पर मामला हाईकोर्ट में होते हुए सुप्रीम कोर्ट में चला गया था. इस दौरान राज्य में बीजेपी की सरकार आ गई. बीजेपी सरकार के कार्यकाल के दौरान 5 जनवरी 2015 को सुप्रीम कोर्ट में भर्ती का रास्ता साफ हो गया, लेकिन बीजेपी सरकार ने द्वेषपूर्ण भावना से नर्सिंग भर्ती 2013 को कांग्रेस सरकार की भर्ती मानते हुए केवल संविदा कर्मियों को 5,559 पदों पर ही भर्ती पूरी की. वहीं बाकी पदों पर बजट के अभाव में लैप्स कर दी.

उन्होंने कहा कि एएनएम भर्ती की कटौती कर दी, जिससे सबसे ज्यादा मार फ्रेशर अभ्यर्थियों पर पड़ी. उन्होंने कहा कि हमारा भविष्य सिर्फ और सिर्फ नर्सिंग भर्ती 2013 में ही है, क्योंकि उस समय दसवीं के अंक पर किसी भी अभ्यर्थी को बोनस नहीं मिलता था. जबकि आज अभ्यार्थियों को स्कूल से 30 प्रतिशत अंक बोनस मिलते हैं.

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उन्होंने प्रभारी मंत्री बीडी कल्ला से वंचित एएनएम भर्ती 2013 के 6,719 पदों पर पहले भर्ती करवाने की मांग की. अभ्यर्थियों का कहना है कि पिछले 6 सालों से वह लगातार जनप्रतिनिधियों से मिल रहे हैं, लेकिन उन्हें आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिल रहा है. उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी ज्ञापन सौंपकर बताया था, लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ. जिसके चलते उन्हें रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है.

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