कोटा. कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन किया गया है. ये लॉकडाउन छोटे-मोटे कामगार मजदूरों पर भारी पड़ रहा है. अधिकांश लोग जो रोज कमा कर खाते थे, उनके सामने संकट आ गया है. हालांकि समाजसेवी लोगों की मदद कर रहे हैं. प्रशासन भी इन लोगों तक राशन पहुंचा रहा है, लेकिन इसके बावजूद भी लोग आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं.
ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने अपना धंधा इस लॉकडाउन में बदल लिया है. वो पहले ऑटो चलाना, कटिंग की दुकान संचालित करना, फ्लावर डेकोरेशन या फिर रिक्शा चलाते थे, लेकिन अब वे ठेले पर सब्जी लेकर या फल फ्रूट लेकर निकल रहे हैं. ताकि उन्हें 250 से 500 के बीच मजदूरी मिल सके और वे अपने घर का गुजारा चला सके.
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ऐसे कई लोग हैं जिनको ईटीवी भारत ने शहर की सड़कों पर चलते हुए देखा और जब उनसे बातचीत की तो सामने आया कि वो पहले कोई और काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते वे अब बेरोजगार हो गए. ऐसे में उन्होंने अपना धंधा बदल दिया और अब वह फल या सब्जी बेच रहे हैं. आधी ही हो रही है आमदनी पर मजबूरी है.
नगर निगम कॉलोनी निवासी त्रिलोक राठौर बैटरी वाला ऑटो रिक्शा चलाकर परिवार का पेट पालते हैं, लेकिन बीते 1 सप्ताह से वे कभी फल का ठेला लगाते हैं कभी फ्रूट्स का. इसके लिए त्रिलोक शहर की गली-गली भटकते हैं. शाम तक वे करीब 300 से 400 रुपये तक बचा पाते हैं, जबकि जब बैटरी संचालित ऑटो को चलाते थे तो 700 रुपये तक कमा लेते थे. उनका कहना है कि आमदनी आधी हो गई है, लेकिन जैसे तैसे गुजारा कर रहे हैं.