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सरकार की शिक्षा नीति के खिलाफ निजी स्कूल संचालकों का प्रदर्शन, RTE के तहत लाभ से बच्चों के वंचित रखने का आरोप - protest on collectorate

सरकार की शिक्षा नीति का निजी स्कूल संचालकों ने विरोध किया है. संचालकों का कहना है कि पहले RTE के तहत 3 साल तक के बच्चों को स्कूलों को प्रारंभिक कक्षा में प्रवेश मिल जाता था, लेकिन नई नीति के तहत सरकार ने प्रवेश की उम्र 5 वर्ष कर दी है जिससे गरीब बच्चे पढ़ाई में पिछड़ जाएंगे. संचालकों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर नारेबाजी की.

private school manager protest on collectorate.
जिला कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन करते निजी स्कूल संचालक.

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Published : Jul 6, 2020, 6:35 PM IST

कोटा. प्राइवेट स्कूल संचालकों ने जिला कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन कर सरकार की शिक्षा नीति का विरोध किया. उन्होंने कहा कि सरकार नहीं चाहती कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत बच्चों का स्कूलों में प्रवेश हो. सुनियोजित तरीके से बच्चों को प्रवेश से वंचित रखने की योजना क्रियान्वित कर दी गई है. स्कूल संचालकों ने सरकार के खिलाफ साेमवार को जमकर नारेबाजी भी की. प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसायटी, रिकग्नाइज स्कूल एसोसिएशन और स्कूल शिक्षा परिवार की ओर से आज जिला कलेक्ट्रेट पर किए गए प्रदर्शन में प्राइवेट स्कूल संचालक बड़ी मात्रा में मौजूद रहे. संचालकों ने प्रदर्शन के बाद प्रशासनिक अधिकारियों को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा.

निजी स्कूल संचालकों का कलेक्ट्रेट के बाहर प्रदर्शन.

नए बच्चों को नहीं मिलेगा RTE से प्रवेश

स्कूल संचालकों का कहना है कि अब पांचवी की उम्र में ही आरटीई के तहत प्रवेश मिल सकेगा. ऐसे में पहली कक्षा में ही बच्चा प्रवेश लेगा. स्कूल में आरटीई की सीटों का निर्धारण नीचे के 3 कक्षाओं के औसत से होगा. जबकि वर्तमान में निचली कक्षाओं में आरटीई के तहत पहले से बच्चे पढ़ रहे हैं. ऐसे में अगले 3 साल तक आरटीई के तहत उन्हीं बच्चों के जरिए सीटें भरी जाएंगी जो पहले से स्कूलों में पढ़ रहे हैं.

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शिक्षा में पिछड़ जाएंगे स्टूडेंट

स्कूल शिक्षा परिवार के कोटा शहर जिला अध्यक्ष जमुना शंकर प्रजापति का कहना है कि राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत स्कूलों में बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा सरकार साजिशन बंद करना चाहती है. पहले 3 साल का बच्चे को एडमिशन दिया जाता था. बेसिक पढ़ाई के बाद वह पहली क्लास में जाता था, लेकिन अब 5 साल की उम्र में एडमिशन की योजना बना दी है. इसके तहत उसे कक्षा एक में ही प्रवेश मिलेगा. जब उसका प्रवेश कक्षा एक में होगा तो, वह पिछली कक्षाओं पढ़ाई की पूर्ति नहीं कर पाएगा और पिछड़ जाएगा.

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माफ बिजली व पानी के बिल, आर्थिक पैकेज भी मिले

प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसायटी के सचिव संजय शर्मा ने मांग की कि प्राइवेट स्कूलों के बिजली और पानी के बिल माफ होने चाहिए और राहत पैकेज भी मिलना चाहिए. अधिकांश स्कूल आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं. प्राइवेट स्कूलों की सरकार मदद नहीं कर रही है.

सरकार बताए ऑनलाइन पढ़ाई हो या नहीं

संचालकों का कहना है कि सरकार ने कोरोना के चलते 31 जुलाई तक अवकाश घोषित कर दिया है. हालांकि स्कूलों को कोई दिशानिर्देश नहीं दिए गए हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई करवाएं या नहीं. इससे हमें असुविधा हो रही है.

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