कोटा.नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की आयोजित नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस एग्जाम NEET UG 2022 में पूरे देश भर से गड़बड़ी के मामले सामने आ रहे हैं. कई जगह पर हिंदी में परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को अंग्रेजी माध्यम का प्रश्न पत्र दिया गया और बाद में उसे वापस लिया गया. इस गलफत में उनका काफी समय बर्बाद चला गया. साथ ही उन्हें जो बाद में अतिरिक्त समय दिया गया था, वह भी कम था.
इसके अलावा विद्यार्थियों को जो ओएमआर शीट दी गई है, उनमें भी पहले से ही प्रश्नों को हल किया हुआ था, जिन पर व्हाइटनर लगा कर दी गई थी. ऐसे मामलों में कोटा सहित श्रीगंगानगर में भी जमकर हंगामा (NEET Exam 2022 Controversy) हुआ था. जिस पर श्रीगंगानगर के स्थानीय सांसद निहालचंद मेघवाल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया से बातचीत की. निहालचंद मेघवाल ने सोशल मीडिया के जरिए बताया है कि गंगानगर में स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने दोबारा परीक्षा करवाने पर सहमति जता दी है.
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ऐसे में कोटा में बोरखेड़ा स्थित प्रगति सीनियर सेकेंडरी स्कूल में भी इसी तरह की गड़बड़झाला हुआ था, जिसको लेकर भी विद्यार्थी आक्रोशित हैं. यहां परीक्षा देने आए भरतपुर, सवाई माधोपुर, नागौर, कोटा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित सैकड़ों जगह के विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी. उसमें करीब 700 विद्यार्थियों का सेंटर था. ऐसे में यहां के विद्यार्थी भी दोबारा परीक्षा करवाने की मांग पर अड़े हुए हैं. परीक्षार्थियों ने कोटा बूंदी सांसद व लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से भी इस संबंध में मध्यस्थता करने की अपील की है.
स्टूडेंट्स ने मांग की है कि कोटा में भी दोबारा परीक्षा आयोजित करवाई जाए : सवाई माधोपुर के स्टूडेंट मनीष गुर्जर का कहना है कि उनका साल बर्बाद हो जाएगा. ऐसे में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को जहां भी गड़बड़झाला परीक्षा में हुआ है, वहां दोबारा एग्जाम करवाना चाहिए मनीष का यह भी कहना है कि एक नंबर से ही मेडिकल की सरकारी कॉलेज की सीट छूट जाती है. जिसके बाद प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन लेना काफी महंगा सौदा है. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को दोबारा एग्जाम कराना होगा, ताकि स्टूडेंट का नेशनल टेस्टिंग एजेंसी से विश्वास नहीं उठे.
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कोटा की स्टूडेंट सादिया का कहना है कि उसके पेपर में कई प्रश्न छूट गए थे, जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा. जबकि यह गलती (Wrong Papers Distributed to NEET Students) नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के ऑब्जर्वर और सेंटर सुपरिटेंडेंट की थी. उन्होंने कहा कि हमारी ओएमआर शीट पर व्हाइटनर लगाया हुआ था. ऐसे में जब कंप्यूटर इनको स्कैनिंग करते हुए चेक करेगा, तब हमारी ओर मार्कशीट की जांच नहीं हो पाएगी.
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इस संबंध में सेंटर के स्कूल पर लिखित में कंप्लेंट दी थी, जिसकी रिसिप्ट भी हमारे पास है. नागौर के स्टूडेंट पंकज कच्छावा का कहना है कि एग्जाम में हुई गड़बड़ी के बाद सेंटर के मैनेजमेंट ने मानसिक रूप से काफी परेशान उन्हें कर दिया था. इसके चलते उनका पूरा पेपर बिगड़ गया है. बीती 17 जुलाई को दी गई परीक्षा में उनके अच्छे नंबर नहीं आएंगे. उन्होंने इस संबंध में नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल से भी बातचीत की थी, उनसे हमें आश्वासन मिला है कि वे मुद्दा उठाएंगे.