कोटा. देश भर से कोचिंग करने के लिए आए बच्चों की वजह से कोचिंग एरिया का व्यापार सबसे अच्छा चलता है. लेकिन कोरोना काल में 85 प्रतिशत लॉकडाउन जैसे हालात हैं. हालांकि कोटा के दूसरे इलाकों में थोड़े सामान्य हालात हैं. कोचिंग एरिया के फुटकर व्यापारी कहते हैं कि किसी तरह बस रोजी-रोटी चल रही है. कोचिंग बंद होने की वजह से पहले जैसी कमाई नहीं हो रही है. सभी कोचिंग खुलने का इंतजार कर रहे हैं.
कोटा के कोचिंग एरिया में करीब 5000 करोड़ का व्यापार होता है. इसमें छोटे और फुटकर व्यापारी भी शामिल हैं. दरअसल बच्चे सामान्य जरूरत की चीजें यहीं से खरीदते हैं. कोटा में करीब डेढ़ लाख के आसपास बच्चे कोचिंग करने के लिए आते हैं. एरिया में करीब 10,000 से ज्यादा दुकानें हैं. करीब 2000 से ज्यादा ओपन मैस हैं. इनमें 75 फीसदी बंद हैं. 5000 से ज्यादा ऑटो चलते थे, लेकिन अब 100 से 200 ही नजर आ रहे. स्टेशनरी, जनरल स्टोर, जूस, फास्ट फूड, अल्टरेशन, हेयर कटिंग, साइबर कैफे, ई-मित्र, किराना, मोची का व्यापार ठप पड़ा है. करीब 1 लाख से ज्यादा लोगों का व्यापार प्रभावित हुआ है.
राजीव गांधी नगर, न्यू राजीव गांधी नगर लैंडमार्क सिटी, कोरल पार्क, तलवंडी, जवाहर नगर, दादाबाड़ी, महावीर नगर, बसंत विहार, विज्ञान नगर, सुभाष नगर, इलेक्ट्रॉनिक कॉम्प्लेक्स और इंद्र विहार इलाके में ज्यादातर बच्चे रहते हैं. कोरोनाकाल में इन इलाकों के दुकानदारों की हालत खराब है. इन इलाकों के स्टेशनरी, जनरल स्टोर, जूस, फास्ट फूड, हेयर कटिंग, साइबर कैफे, ई-मित्र, किराना और मोची का व्यापार ठप है. करीब 1 लाख से ज्यादा लोग परेशान हैं.
जनरल स्टोर्स के संचालक सागर का कहना है कि बच्चों का कोई रिस्पांस नहीं मिल पा रहा है. कोचिंग बंद है. व्यापारी जूझ रहे हैं. पहले खर्चा निकाल लेते थे और बचत भी कर लेते थे. अब बचत गायब है और खर्चा जेब से जा रहा है. ऑटो चालक ललित कुमार कहते हैं कि वे 18 साल से कोचिंग एरिया में ही अपना रोजगार चला रहे हैं. अब हालात खराब हैं. सुबह से ऑटो लेकर आते हैं, दोपहर तक इक्का-दुक्का सवारी मिल पाती है. ऑटो का मेंटनेंस और गैस डलवाने के लिए भी पैसा नहीं बचता है.