कोटा. चंबल नदी पर बंधे हुए 3 बांध करीब 50 साल की उम्र के आसपास के हो गए हैं. अब उनके सिविल स्ट्रक्चर की जांच राजस्थान का जल संसाधन विभाग करवा रहा है. यह पहली बार है कि एक रोबोट के जरिए इन सिविल स्ट्रक्चर की जांच की जा रही है, जिसमें एक रोबोट पानी के अंदर जाता है और सिविल स्ट्रक्चर की पूरी वीडियो ग्राफी करता है. कंपनी के प्रतिनिधियों का कहना है कि यह सब रीमोटली ऑपरेटेड व्हीकल की मदद से होता है. राजस्थान में इस तरह का अंडर वाटर सर्वे पहली बार डैम के स्ट्रक्चर की जांच के लिए हो रहा है, इसमें 50 लाख से ज्यादा रुपए का खर्चा राज्य सरकार वहन कर रही है.
कोटा बैराज पर 1 दिन में 2 गेटों की जांच
कोटा के बैराज अभियंता राजेंद्र कुमावत ने बताया कि कोटा बैराज पर काम कर रही टीम को बोट में अपना पूरा सेटअप जमाना पड़ता है. इसके बाद वे उसे लेकर जिस गेट के नजदीक या फिर सिविल स्ट्रक्चर के यहां पर वीडियोग्राफी करनी होती, वहां पर वे बोट को ले जाकर खड़ी कर देते हैं. उसके बाद रोबोट को अंदर डाला जाता है. रोबोट अंदर जाकर पूरी वीडियो ग्राफी करता है. इसकी पूरी रिपोर्ट भी बाद में सॉफ्टवेयर के जरिए तैयार की जाती है कि किस जगह पर कितना क्रेक है और सिविल स्ट्रक्चर में क्या क्या नुकसान बैराज को हुआ है, ताकि आगे उससे रिपेयर करवाया जा सके. कोटा बैराज में काम कर रही टीम 1 दिन में 2 गेटों के ही सिविल स्ट्रक्चर को जांच कर पाती है. इसी तरह से राणा प्रताप सागर बांध और जवाहर सागर बांध पर भी वीडियोग्राफी राज्य सरकार की तरफ से करवाया जा रहा है.
यह भी पढ़ेंःराजस्थान में महिलाएं सुरक्षित नहीं और मुख्यमंत्री महिला सशक्तीकरण की बात करते हैं : सुरेश सिंह रावत
80 से 100 मीटर तक जांच
कोटा बैराज पर काम कर रही फर्म तमिलनाडु के चेन्नई की प्लानिंग टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के ऑपरेशनल इंजीनियर कार्तिकेय किरण का कहना है कि हमारा मैकेनिज्म अंडर वाटर वीडियोग्राफी का है, जो हमारे पास एक रोबोट है और उसके साथ एक कमांड सिस्टम है, जो कि उसे ऑपरेट करता है. हम लोग डैम की मजबूती को चेक करने के लिए उसका उपयोग कर रहे हैं, जिसमें देख रहें है कि नीचे कोई डिफेक्ट तो नहीं है, जो भी डिफेक्ट होगा वो वीडियोग्राफी पर कैप्चर होगा. हमारा एक यह रोबोट 80 से 100 मीटर तक अंदर चला जाता है. इसके बाद उसको हम एनालाइज्स भी सॉफ्टवेयर के जरिए करते हैं, इसके बाद पूरी रिपोर्ट बनाकर हम राज्य सरकार को भेजते हैं.