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स्पेशल: एक बार फिर आबाद होने लगी 'शिक्षा नगरी', नई तकनीक के साथ कोचिंग और हॉस्टल तैयार

कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई शुरू करवाने की अनुमति सरकार ने दे दी है, जिसके बाद अब तक 35 हजार बच्चे कोटा पहुंच चुके हैं. इनको कोविड फ्री रखने के लिए कोचिंग संस्थानों से लेकर हॉस्टल, मेस और पीजी में नई तकनीक की मदद से अलग-अलग तरह की व्यवस्थाएं बच्चों के लिए की गई हैं. बच्चे इन व्यवस्थाओं को देखकर खुश हैं. हॉस्टल संचालकों ने फूड हैबिट्स लेकर अपने स्टाफ और बच्चों के लिए अलग-अलग तरह की व्यवस्थाएं कोटा में शुरू की हैं.

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नई तकनीक के साथ कोचिंग और हॉस्टल तैयार

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Published : Feb 21, 2021, 11:04 AM IST

कोटा.शिक्षा नगरी कोटा एक बार फिर कोविड- 19 के बाद आबाद होने लगी है. यहां से कोरोना की शुरुआत में ही करीब 50 हजार बच्चों को उनके घरों पर पहुंचाया था. बीते महीने जनवरी में कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई शुरू करवाने की अनुमति सरकार ने दे दी है. उसके बाद अब तक करीब 35 हजार बच्चे कोटा पहुंच चुके हैं. वहीं मार्च महीने तक की बात की जाए तो करीब 50 हजार बच्चे कोटा आ जाएंगे, जिनके लिए पूरी तरह से कोटा की कोचिंग सिटी तैयार है.

नई तकनीक के साथ कोचिंग और हॉस्टल तैयार

निजी कोचिंग संस्थान ने अपने क्लास रूम में अल्ट्रावॉयलेट सेनेटाइजेशन सिस्टम लगवाया है, जिसके जरिए जैसे ही बच्चे क्लास से बाहर निकलेंगे, पांच मिनट के लिए लाइट बंद होगी और पूरा क्लासरूम सेनेटाइज हो जाएगा. इसके बाद जब दूसरा बैच आएगा, तो उन बच्चों को किसी भी तरह का कोई वायरस का खतरा इस क्लास रूम में नहीं होगा. कोटा में इस तरह से करीब 100 से ज्यादा क्लास रूम तैयार किए गए हैं.

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ऑफलाइन क्लास के लिए कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट जरूरी

कोविड- 19 जांच की निगेटिव रिपोर्ट के बाद ही कोटा की ऑफलाइन क्लासेज में स्टूडेंट पढ़ाई कर सकेगा. राज्य सरकार ने भी यही निर्देश जारी किए थे. ऐसे में जो भी बच्चे दूसरे राज्यों से आ रहे हैं, उनकी कोविड- 19 निगेटिव रिपोर्ट ली जा रही है, जिसके बाद ही उन्हें हॉस्टल और कोचिंग संस्थानों में प्रवेश दिया जा रहा है. इसके अलावा 31 बेड का अस्पताल भी शुरू किया हुआ है, जिसमें कोचिंग के बच्चों को ही इलाज मिलेगा. संस्थान की तरफ से ही यहां पर डे-केयर में बच्चों को भर्ती भी रखा जाता है.

क्लास की स्ट्रेंथ भी आधी की

निजी कोचिंग संस्थान के वाइस प्रेसिडेंट नितेश शर्मा बताते हैं कि राज्य सरकार ने आधी क्षमता से क्लासेज लगाने के निर्देश दिए थे. लेकिन उनके संस्थान ने तो आधी से भी कम क्षमता पर ही क्लास संचालित की है. जहां पर पहले 100 से ज्यादा बच्चे एक क्लास में बैठाएं जाते थे, उनकी जगह पर अभी करीब 30 से 40 बच्चे ही बैठाए जाते हैं. इसके अलावा बच्चों की एंट्री से लेकर पूरे कैंपस में यह भी ध्यान रखा जाता है कि कहीं पर भी सोशल डिस्टेंसिंग न टूटे, अगर उन्हें अपनी फैकल्टी से भी बात करनी है तो बीच में प्लास्टिक कवर लगाया हुआ है, जिसके जरिए ही वे अपने डाउट क्लियर वन-टू-वन कर सकते हैं.

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हॉस्टल के मेस में बढ़ा दी प्रोटीन डाइट

पहले जहां पर हॉस्टल्स के मैच में बच्चों को लजीज खाने में तली भुनी चीजें और फास्ट फूड भी उन्हें उपलब्ध कराया जाता था. अब हॉस्टल संचालकों ने इस पर थोड़ी सी पाबंदी कोविड- 19 के चलते लगा दी है. अब बच्चों को हरी सब्जी और प्रोटीन डाइट ज्यादा दी जा रही है. पनीर से लेकर उन्हें दूध और दही जैसी चीजें भी उपलब्ध करवाई जा रही हैं, ताकि बच्चे अपनी इम्यूनिटी को मेंटेन रख सकें. साथ ही वे कोविड- 19 से लड़ने के लिए भी तैयार रहें. साथ ही मेस में हाइजीन काफी बढ़ा दिया गया है. यहां पर भी बच्चों को नजदीक नहीं बैठने दिया जाता है. उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करवाई जाती है.

ऑनलाइन चिकित्सक परामर्श की सुविधा भी छात्रों को दी

कई कोचिंग संस्थानों और हॉस्टल एसोसिएशन ने भी बच्चों को घर बैठे ही ऑनलाइन परामर्श उपलब्ध करवाने के लिए आयु एप से टाइअप किया है, जिसके जरिए उन्हें एप के जरिए ही मुफ्त में चिकित्सक के परामर्श मिल रहा है. इसके अलावा भी तीन बार उन्हें अगर डॉक्टर से मिल परामर्श दिया जाता है. इसके लिए उनसे किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है. बच्चों को एडमिशन लेने के साथ ही उनके मोबाइल नंबर पर इस एप का रजिस्ट्रेशन कर दिया जाता है, जिसके जरिए वे डिस्काउंट दर पर दवा भी मंगा सकते हैं. इसके जरिए भी करीब 8 हजार बच्चे कोटा में जुड़े हैं.

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हट गए बायोमेट्रिक ऑफ फेस रीडिंग से अटेंडेंस

कई हॉस्टल में बच्चों को कोविड- 19 से फ्री रखने के लिए बायोमेट्रिक थम्ब इंप्रेशन वाल हटा दिए हैं. अब उसकी जगह फेस रीडिंग वाले बायोमेट्रिक लगाए गए हैं, ताकि स्टूडेंट्स को कहीं भी टच करना न पड़े. इसके अलावा भी सेनेटाइजेशन के लिए भी अलग-अलग तरह के उपकरण यहां पर इस्टेबलिश्ड किए गए हैं. हर बच्चे को एंट्री के साथ संस्थानों में सेनेटाइज किया जाता है.

आबाद होने लगी 'शिक्षा नगरी'

साथ ही बच्चों को यह भी पाबंदी है कि वे बिना कारण हॉस्टल के बाहर न निकले, उन्हें जब क्लास के लिए जाना है. तब एक बार बाहर निकले, इसके बाद जब वापस आ रहे हैं. तब तक कोई छोटा-मोटा जरूरी काम जो बाजार का है, वह खत्म करके वापस आएं. दोबारा उन्हें बाहर नहीं निकाला जाता है. यह पाबंदी स्टाफ पर भी सख्ती से लागू होती है. स्टाफ को भी किसी भी बाहरी जगह पर नहीं भेजा जाता है.

आइसोलेशन की तरह है सवा लाख रूम्स, हर हॉस्टल में आइसोलेशन फ्लोर

कोटा में करीब दो लाख बच्चे कोचिंग संस्थानों में पढ़ने के लिए आते हैं, कोविड-19 आज यह संख्या अभी कम है. लेकिन इन बच्चों को रहने के लिए करीब तीन हजार से ज्यादा हॉस्टल संचालित है, जिनमें सवा लाख कमरे हैं. यह सभी सवा लाख कमरे सिंगल रूम कल्चर पर हैं. ऐसे में माना जाए तो आइसोलेशन की तरह ही यहां पर यह कमरे हैं, कोटा में 3 हजार हॉस्टल हैं.

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ऐसे में हर हॉस्टल में एक फ्लोर को आइसोलेशन के लिए रिजर्व रखा हुआ है. ऐसे में माना जाए तो करीब 10 हजार के आसपास कमरे कोविड- 19 के लिए आइसोलेशन के रूप में रखे हुए हैं. किसी भी बच्चे को लक्षण नजर आने पर इन आइसोलेशन रूम में ही शिफ्ट किया जाता है. जहां पर उसे रखा जाता है. साथ ही उसके भोजन से लेकर सभी सुविधाएं उस आइसोलेशन रूम में ही मुहैया कराई जाती है, ताकि अन्य स्टूडेंट्स में कोविड- 19 न फैले.

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