जेएनवीयू छात्रसंघ चुनाव में हुआ 59 फीसदी से अधिक मतदान, वैभव गहलोत की प्रतिष्ठा दांव पर - Vaibhav Gehlot active in JNVU election
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में कुल 59.55 फीसदी मतदान हुआ है. इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ने से सभी की धड़कने तेज हो गई हैं. देखा गया है कि जब भी मतदान प्रतिशत बढ़ा, चौंकाने वाले परिणाम आए. इसके साथ ही इस चुनाव से सीएम अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहालोत की प्रतिष्ठा भी दांव पर है. क्योंकि इस चुनाव उनके समर्थित उम्मीदवार मैदान में उतारे गए.
जेएनवीयू छात्रसंघ चुनाव में हुआ 59.55 फीसदी मतदान, वैभव गहलोत की प्रतिष्ठा दांव पर
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Published : Aug 26, 2022, 7:36 PM IST
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Updated : Aug 27, 2022, 12:02 AM IST
जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से मतदान हो गया. इस बार करीब 60 फीसदी मतदान हुआ (Total Voting in JNVU) है. अपेक्स पदों के लिए कुल 17249 मतदाताओं में से 10272 ने वोट डाला है. तीन बजे तक कुछ केंद्रों पर मतदान चला. गत बार की तरह इस बार भी मतदान का प्रतिशत बढ़ा है.
इस चुनाव में अगर सबसे अधिक किसी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है तो वह आरसीए अध्यक्ष एवं एआईसीसी के सदस्य वैभव गहलोत की है. क्योंकि छात्रसंघ चुनाव में यह पहला मौका था जब वैभव गहलोत खुद सक्रिय नजर (Vaibhav Gehlot active in JNVU election) आए. जोधपुर आकर उन्होंने नगर निगम क्षेत्र के कांग्रेस के सभी पार्षदों और पदाधिकारियों को मतदाता सूची तक बांटी और उन्हें एनएसयूआई के प्रत्याशी हरेंद्र चौधरी व पैनल के पक्ष में मतदान करवाने का जिम्मा सौंपा था. उन्होंने कहा था कि एनएसयूआई की जीत से हम मुख्यमंत्री जी को तोहफा देंगे. अब इसका कितना असर होगा, यह तो शनिवार देर शाम को पता चलेगा.
लेकिन बढ़े हुए मतदान ने सबकी धड़कने बढ़ा दी (Voting percentage increased in JNVU) हैं. क्योंकि बढ़ा हुआ मतदान कभी एनएसयूआई के पक्ष में नहीं जाता है. इसलिए वैभव गहलोत के अलावा एनएसयूआई से पूर्व अध्यक्ष रहे सुनील चौधरी के लिए यह चुनाव महत्वपूर्ण है. क्योंकि हरेंद्र चौधरी को प्रत्याशी बनाने में सबसे बड़ी भूमिका थी. इस चुनाव में एनएसयूआई की तरफ से अध्यक्ष पद के लिए हरेंद्र चौधरी, एबीवीपी से राजवीर सिंह बांता और एसएफआई से अरविंद सिंह भाटी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला हुआ है.
बढ़ा हुआ मतदान देता है चौंकाने वाला परिणाम: JNVU में बढ़ा हुआ मतदान हमेशा उलटफेर करता रहा है. 2019 के चुनाव में 56.64 फीसदी वोट पड़े थे. परिणाम निर्दलीय रविंद्र सिंह भाटी के पक्ष में गया था. भाटी ने संगठन का टिकट नहीं लिया था. उन्होंने एनएसयूआई और एबीवीपी दोनों के प्रत्याशियों को मात दी थी. जबकि इससे पहले 2018 में महज 46 फीसदी मतदान हुआ, जिसमें एनएसयूआई के सुनील चौधरी ने चुनाव जीता था. 2017 में 49 फीसदी मतदान हुआ, तो एनएसयूआई की कांता ग्वाला ने जीत दर्ज की थी. इस बार 59.55 फीसदी मतदान भी शायद चौंकाने वाला परिणाम देगा. क्योंकि इस बार अध्यक्ष पद के लिए निर्दलीय प्रत्याशी नहीं है. एसएफआई ही दोनों संगठनों को चुनौती दे रहा है.