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आज धींगा गवर पूजन का अंतिम दिन: विदाई के समय पुरुष का आना वर्जित...शादी के लिए कुंवारे खाएंगे बेंत की मार - Rituals of Dhinga Gavar worship

जोधपुर में धींगा गवर पूजा का सोलहवां दिन अंतिम पूजन के रूप में मनाया जाता (Dhinga Gavar worship in Jodhpur) है. इस​ दिन महिलाएं विभिन्न स्वांग रचकर शहर में निकलती हैं. खास बात यह है कि इस दौरान पुरुष घरों से बाहर नहीं निकलते हैं. माना जाता है कि पुरुषों के बाहर आने से अनिष्ट होता है. ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन महिलाओं के हाथ से बेंत लगने पर कुंवारे लड़कों की शादी जल्दी होती है.

Dhinga Gavar worship in Jodhpur
आज धींगा गवर पूजन का अंतिम दिन

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Published : Apr 19, 2022, 5:42 PM IST

जोधपुर. मंगलवार को धींगा गवर आयोजन का सोलहवां दिन है. इस दिन अंतिम पूजन (Last day of Dhinga Gavar worship in Jodhpur) होगा. इसके बाद रात को परकोटे के भीतरी शहर में धमचक मचेगी. गवर का पूजन करने वाली महिलाएं अलग-अलग स्वांग धरकर बाहर निकलेंगी.

इनमें देवी-देवताओं के रूप के अलावा कई प्रचलित चेहरे भी नजर आएंगे जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, योगी आ​दित्यनाथ शामिल हैं. इसको लेकर तैयारियां जोरों पर हैं. धींगा गवर का यह अनूठा आयोजन सिर्फ जोधपुर में ही होता है. इसमें बहुतायत पुष्करणा ब्राह्मण समाज की महिलाएं भाग लेती हैं. पूरी रात मेला चलता है. महिलाओं के समूह पूरे शहर में घूमते हैं. जगह-जगह गवर पूजन करने वाली तिजणियों का सम्मान भी होता है. खास बात यह है कि अलसुबह चार बजे गवर माता को सीख देने की परंपरा होती (Rituals of Dhinga Gavar worship) है. इस दौरान सड़क पर कोई पुरुष नहीं आता है.

धींगा गवर पूजा का महिलाओं में खासा उत्साह

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इस पूजन की कथा के अनुसार भगवान शिव इस समय ही गौरी को अपने साथ लेकर गए थे. इस दौरान अगर कोई पुरुष समाने आता है, तो अनिष्ट होता है. इसके चलते धींगा गवर मेले की रात चार बजे बाद पूजन क्षेत्र की सड़कों पर पुरुष बाहर नहीं आते हैं. महिलाएं ही गवर को विदा करने की पंरपरा निभाती हैं. इसके बाद यह पूजन व मेला संपन्न हो जाता है.

महिलाओं ने रचे अलग-अलग स्वांग

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कुछ ऐसी है धींगा गवर की परंपरा: कथाओं के अनुसार एक बार पार्वती ने भील महिला का स्वांग रच शिवजी को रिझाया था. रूप इतना सुंदर था कि शिव उस भील रूपी महिला पर मोहित होकर अपने साथ ले जाने को तैयार हो गए. स्वांग रचने की माता पार्वती की इस परंपरा को सदियों से जोधपुर में निभाया जा रहा है.

धींगा गवर पूजन के लिए गबरू जवान के स्वांग में एक महिला

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जोधपुर के अलावा मारवाड़ में पुष्करणा परिवार जहां पर होते है, वहां पर धींगा गवर का पूजन होता है. सोलह दिन गवर का पूजन करने वाली महिलाएं विभिन्न स्वांग रच हाथ में एक सुसज्जित बेंत लेकर शहर की सड़कों पर निकलती हैं. इनके रास्ते में आने वाले युवकों की बेंत से दुलार के साथ पिटाई करती हैं. मान्यता है कि अगर बेंत कुंवारे को लगती है, तो उसका विवाह जल्दी होता है.

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