जोधपुर.8 अक्टूबर को वायु सेना दिवस से है, लेकिन कुछ दिन पहले यानी सोमवार 3 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना में देश में ही विकसित हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) का पहला स्क्वाड्रन की तैनातगी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में होगी. एलसीएच (Light Combat Helicopter) की तैनाती से पश्चिमी सीमा पर वायुसेना की दुश्मन के प्रति मारक क्षमता में इजाफा होगा.
एलसीएच फाइटर जेट सुखोई-30 का जोड़ीदार बनेगा. पश्चिमी सीमा पर एलसीएच की तैनातगी से पहले इसे कई परीक्षणों से निकाला गया है. इसके बाद वायुसेना ने इसके लिए जोधपुर एअरबेस को चुना है. सोमवार को इसकी पहली (Features of LCH) स्क्वाड्रन अस्तित्व में आएगी. यह हेलीकॉप्टर 180 डिग्री के कोण पर स्थिर रह कर और 360 डिग्री के कोण पर उड़ कर चार तरह से हमला करने की ताकत रखता है. अन्य हेलीकॉप्टर के मुकाबले इसमें बदलाव तेजी किए जा सकते हैं, जिनकी मदद से एंटी इंफैन्ट्री, आर्टिलरी व एंटी टैंक अटैक किया जा सकता है.
ये किसी भी तरह के यूएवी या घातक ड्रोन को हवा में मार गिरने में सक्षम है. हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर वायु सेना में शामिल होने से (First Squadron of LCH in India) युद्ध के मोर्चों पर कई मायने में आसनी होगी. देश में ही विकसित किए गए इस हेलीकॉप्टर के 45 फीसदी कलपुर्जे देश में ही विकसित किए गए हैं, जिन्हें 55 फीसदी प्रतिशत तक करने की योजना पर काम चल रहा है. फिलहाल, भारतीय सेना में एलसीएच काम में लिए जा रहे हैं. वायुसेना ने 10 एलसीएच का ऑर्डर इस वर्ष मार्च में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को दिया है.
10 साल ट्रॉयल के बाद वायु सेना में शामिल : भारतीय वायु सेना को कारगिल युद्ध के दौरान हल्के लडाकू हेलीकॉप्टर की आवश्यकता महसूस हुई थी. उस समय ऐसे हेलीकॉप्टर होते तो पाकिस्तानी सेना के बंकरों आसानी से उड़ाया जा सकता था. इसके बाद 2006 में सबसे पहले सरकार ने इसकी अनुमति दी थी. वायु सेना से पहले भारतीय सेना ने दुर्गम इलाकों के लिए उपयोग शुरू किया. वायुसेना में तैनाती से पहले कई उसी स्तर के परीक्षण किए गए थे. उन ट्रायल से समझा जा सकता है कि यह एअरफोर्स के लिए कितना महत्वपूर्ण है.