जोधपुर.आदिवासी बहुल क्षेत्रों में झाड़-फूंक कर अन्य तरीकों से बीमारियों का उपचार करने वाले भोपों के इलाज के तरीकों पर देश में पहली बार रिसर्च की जा रही है. केंद्र सरकार ने इसके लिए जोधपुर एम्स को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया है. जोधपुर एम्स ने अपने स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के मार्फत जोधपुर संभाग के सिरोही जिले जिसमें सर्वाधिक आदिवासी रहते हैं, वहां काम शुरू कर दिया है.
जोधपुर एम्स के डॉक्टर और रिसर्च टीम के सदस्य अब तक करीब 250 महिला और पुरुष भोपों से मिल चुके हैं. इस रिसर्च में यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि भोंपों किस तरह से उपचार करते हैं और उनकी विधि क्या है. साथ ही उनको इस बात के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है कि जो उपचार में नहीं कर सकते इसके लिए वे सीधे पीड़ित को सरकारी अस्पताल भेजें. इससे उसका जीवन बचाया जा सके.
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एमपी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एकेडमिक हेड डॉ. कुलदीप सिंह का कहना है कि आदिवासी क्षेत्र में भोपों जो उपचार करते हैं, उनकी कई विधियां वैज्ञानिक रूप से सही भी है लेकिन कुछ गलत भी होती है. कुलदीप सिंह का कहना है कि हम इनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषण करेंगे.