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पूर्व विधायक भैराराम सियोल का रिचार्ज मॉडल...बारिश के पानी से नकारा ट्यूबवेल चलाने की तैयारी

ओसियां विधानसभा के पूर्व विधायक भैराराम सियोल ने नकारा ट्यूबवेल को आने वाले मानसून में बारिश के पानी से रिचार्ज करने का मॉडल तैयार किया है. जिसके लिए उन्होंने रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम को अपनाया है. सियोल का कहना है कि हम सरकार से क्षेत्र को डार्क जोन से हटाने के लिए मांग कर सकते हैं.

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पूर्व विधायक का नकारा ट्यूबवेल को बारिश के पानी से रिचार्ज करने का मॉडल

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Published : May 28, 2020, 8:39 PM IST

जोधपुर. ओसियां विधानसभा के पूर्व विधायक एवं पूर्व संसदीय सचिव भैराराम सियोल ने लॉकडाउन के साठ दिनों में रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम को अपनाया है. जिससे एक कदम आगे जाकर खेत के नकारा ट्यूबवेल को आने वाले मानसून में बारिश के पानी से रिचार्ज करने का मॉडल तैयार किया है.

पूर्व विधायक का नकारा ट्यूबवेल को बारिश के पानी से रिचार्ज करने का मॉडल

सियोल का कहना है कि इसके लिए खेत में बने उनके घर की सभी छतों को आपस में जोड़कर पहले पीने का पानी संग्रहण करने के लिए एक होद तैयार किया गया. इसके बाद इसके ओवरफ्लो से निकलने वाले पानी से ट्यूबवेल को रिचार्ज किया जाएगा. बता दें कि वे इसका ट्रायल भी कर चुके हैं. उनका कहना है कि किसान अगर इस तरह से प्रयास करेंगे तो जल स्तर बढ़ेगा. इसके बाद हम सरकार से क्षेत्र को डार्क जोन से हटाने के लिए मांग कर सकते हैं.

बता दें कि जोधपुर का ओसियां क्षेत्र डार्क जोन में आता है. ऐसे में इस क्षेत्र में किसान को नई ट्यूबवेल खोदने की अनुमति नहीं है. पुराने ट्यूबवेलों में पानी की गहराई एक हजार फिट तक पहुंच गई है. ऐसे में ट्यूबवेल नकारा होने पर किसान के पास कोई दूसरा चारा नहीं है. वहीं सियोल का कहना है कि जिन खेतों में मकान नहीं है. वहां पर भी वे ट्यूबवेल के आसपास की भूमि पर पक्का फर्श बनाकर उसकी ढलान से बारिश का पानी सीधे ट्यूबवेल में डाल सकेंगे.

देश में 162 डार्क जोन क्षेत्र

देश में 162 डार्क जोन क्षेत्र हैं. वहीं प्रदेश में 35 और जोधपुर जिले में चार डार्क जोन क्षेत्र हैं. जिनमें ओसियां, भोपालगढ़, बिलाड़ा व मंडोर क्षेत्र सम्मिलित हैं. जिसमें कृषि व औद्योगिक क्षेत्र में उपयोग के लिए नलकूप व बोरवेल खुदाई पर पूर्णता प्रतिबंधित हैं. राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण एनजीटी ने 13 अगस्त 2011 को नोटिफिकेशन जारी कर पुराने कृषि कनेक्शन काटने व नए कृषि कनेक्शन जारी करने पर रोक लगा दी.

हालांकि, पुराने कृषि कनेक्शनों को राहत दी गई, लेकिन नए कृषि कनेक्शनों पर आज भी रोक लगी हुई है. साथ ही क्षेत्र में हजारों की संख्या में बोरवेल व नलकूप बंद पड़े हैंं, जो फिलहाल चिन्हित भी नहीं है.

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