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किसान आंदोलन: जोधपुर में किसान संघ को ठोस आश्वासन नहीं दे पाया प्रशासन, वार्ता विफल

जोधपुर में पिछले कई दिनों से चल रहे किसान आंदोलन को किसानों ने मंगलवार को महापड़ाव की घोषणा की थी. इस बीच कलेक्टर के नेतृत्व में आंदोलन के संयोजक और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच बैठक हुई, लेकिन अधिकारियों द्वारा किसान को कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलने पर वार्ता विफल हो गई.

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जोधपुर में किसान संघ को ठोस आश्वासन नहीं दे पाया प्रशासन

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Published : Aug 26, 2020, 9:07 AM IST

जोधपुर.पिछले कई दिनों से जिले में किसानों द्वारा कृषि कनेक्शन के बिजली के बिलों में हो रही अनियमितता और सरकार द्वारा रोके गए अनुदान को पुनः शुरू करने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के तहत मंगलवार को किसानों ने महापड़ाव की घोषणा की थी. भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में शुरू हुए इस आंदोलन के तहत पुलिस ने जिले के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में ही किसानों को रोक दिया. आंदोलन का सर्वाधिक असर ओसियां क्षेत्र में देखने को मिला.

जोधपुर में किसान संघ को ठोस आश्वासन नहीं दे पाया प्रशासन

कुछ किसान जोधपुर डिस्कॉम कार्यालय तक भी पहुंच गए, जहां नारेबाजी और धरना भी दिया. रात करीब 9 बजे जिला प्रशासन के प्रतिनिधि के रूप में कुछ अधिकारी ओसियां के पास किसानों के धरना स्थल पर पहुंचे और उनसे वार्ता का आग्रह किया, जिस पर रात करीब 11 बजे कलेक्ट्रेट सभागार में जिला कलेक्टर इंद्रजीत सिंह के नेतृत्व में वार्ता शुरू हुई. करीब 2 घंटे तक चली वार्ता में आंदोलन के संयोजक तुलछाराम ने किसानों की परेशानियों से अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन बदले में कोई भी अधिकारी किसानों को ठोस आश्वासन नहीं दे पाए, जिसके चलते यह वार्ता विफल हो गई.

वार्ता में शामिल किसानों की सबसे ज्यादा नाराजगी जोधपुर डिस्कॉम के प्रबंध निदेशक अविनाश सिंघवी को लेकर थी. किसानों का कहना था कि वह हमारी बात सुनने को भी तैयार नहीं थे. जिन बिलों को माफ करने की मांग कर रहे हैं, वे उनका किस्तों में भुगतान जमा कराने की बात करने लगे है. जिला प्रशासन की ओर से भी किसानों को कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया.

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वहीं अनुदान राशि को लेकर भी जब राज्य सरकार ने रोकने के कोई आदेश जारी नहीं किए हैं, तो अनुदान राशि क्यों रोकी जा रही है. इसको लेकर भी कोई अधिकारी किसानों को संतुष्ट नहीं कर पाया. तुलछाराम ने बताया कि हम अभी धरना स्थल पर जाएंगे और कल एक बैठक करने के बाद आंदोलन को नई दिशा देने पर निर्णय किया जाएगा. वार्ता में जिला कलेक्टर के अलावा ग्रामीण पुलिस अधीक्षक और विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे.

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