जयपुर.देश की तरक्की में महिलाएं अहम भागीदारी निभा रही हैं. बात चाहे घर के आंगन की हो या खेल के मैदान की, रसोई की हो या दफ्तर के केबिन की, बच्चों की परवरिश की हो या नामी कंपनी के प्रबंधन की, कार की स्टेरिंग संभालने की हो या रेल के इंजन की कमान, महिलाएं सभी क्षेत्रों में अपनी काबिलियत, हुनर, प्रतिभा और मजबूत इरादों से देश की प्रगति में साझेदार बनी हुई हैं.
नारी शक्ति का बेजोड़ उदाहरण गांधीनगर रेलवे स्टेशन... जयपुर के गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर महिलाएं रेल संचालन का काम बखूबी से कर रही हैं. गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर सभी सुविधाओं और संचालन की जिम्मेदारी महिला शक्ति के हाथों में है. महिला सशक्तिकरण की दिशा में पहल करते हुए उत्तर-पश्चिम रेलवे का एकमात्र महिला स्टेशन गांधीनगर रेलवे स्टेशन पूर्णतया महिलाओं द्वारा संचालित किया जा रहा है. यहां सभी पदों पर महिलाएं काम को बखूबी से निभा रही हैं. स्टेशन मास्टर से लेकर मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक, टिकट संग्राहक और रेल सुरक्षा बल की कमान भी महिलाएं संभाल रही हैं. रेलवे स्टेशन सफाई कार्य भी महिलाएं संभाल रही हैं. स्टेशन पर सुरक्षा-व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए रेलवे सुरक्षा बल में महिला बटालियन तैनात की गई हैं.
छोटे से लेकर बड़े पदों पर करीब 50 महिलाएं तैनात...
गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर 24 घंटे महिलाएं काम कर रही हैं. गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर छोटे से लेकर बड़े पदों पर करीब 50 महिलाएं तैनात हैं. महिला सशक्तिकरण की दिशा में फरवरी 2018 में गांधीनगर रेलवे स्टेशन की कमान महिलाओं के हाथों में सौंपी गई थी. तब से लेकर आज तक महिलाएं रेलवे स्टेशन का संचालन कर रही हैं. शुरुआती दौर में महिलाओं को कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ा था, लेकिन अब धीरे-धीरे महिलाएं परिपक्व हो गई हैं. समय का सामना करते हुए महिलाएं हर मुश्किलों के सामने पहाड़ की तरह डटी हुई है.
छोटे से लेकर बड़े पदों पर करीब 50 महिलाएं तैनात... महिला सशक्तिकरण का बेजोड़ उदाहरण...
गांधीनगर रेलवे स्टेशन अधीक्षक ऐंजल स्टेला ने बताया कि गांधीनगर रेलवे स्टेशन अपने आप में एक महिला सशक्तिकरण का उदाहरण है. 18 फरवरी 2018 को गांधीनगर रेलवे स्टेशन को महिला स्टेशन के रूप में सभी पदों पर महिला कर्मचारी और अधिकारियों को तैनात किया गया. रेलवे स्टेशन पर अधीक्षक, स्टेशन मास्टर, टीसी और सफाई कर्मी समेत सभी पदों पर 50 महिला कर्मी तैनात हैं. कई काम महिलाओं के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होते हैं. शंटिंग का काम ज्यादा मुश्किल होता है. पावर को काटना और अटैच करना रिस्की रहता है. इस कार्य के लिए महिला पॉइंट्स पर तैनात रहती है. अलग-अलग शिफ्ट में महिलाएं अपना काम बखूबी से निभा रही हैं. शुरुआत में लोगों को लगता था कि महिलाएं किस तरह से काम करेंगी. पूरा स्टेशन चलाना छोटी मोटी बात नहीं है.
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कोरोना से पहले गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर करीब 10,000 यात्रियों का आवागमन होता था. ज्यादातर स्टेशनों पर स्टेशन अधीक्षक और स्टेशन मास्टर के पद पर पुरुष तैनात रहते हैं, लेकिन गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर सभी स्टाफ महिला है. टीसी के पद पर भी महिला कर्मी तैनात हैं, जो बड़े अच्छे से यात्रियों को डील करती हैं. यात्रियों से संबंधित कोई भी अगर समस्या आती है तो उसको भी महिला कर्मचारी शॉटआउट करती है. महिलाओं को इस तरह की जिम्मेदारी देना एक उत्साहवर्धक होता है. उच्च अधिकारियों का भी काफी सपोर्ट रहता है. कभी-कभार अगर कोई छोटी-मोटी समस्या भी आती है तो उच्च अधिकारियों के सहयोग से तुरंत निस्तारण कर दिया जाता है.
नारी शक्ति का बेजोड़ उदाहरण... महिला कर्मी CCTV कैमरों के जरिए करती है मॉनिटरिंग...
सुरक्षा के तौर पर गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. महिला कर्मी दिनभर सीसीटीवी कैमरों के जरिए मॉनिटरिंग करती हैं, ताकि किसी भी तरह की कोई समस्या हो तो तुरंत समाधान किया जा सके. रेलवे सुरक्षा बल का भी काफी सहयोग रहता है. गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर 24 घंटे आरपीएफ की महिला कर्मी तैनात रहती है. रेलवे के सभी डिपार्टमेंट आपस में कोडिनेट करके काम करते हैं, जिससे कोई समस्या नहीं होती है. महिला स्टेशन के रूप में गांधीनगर रेलवे स्टेशन ने बिना किसी अप्रिय घटना के अपने 3 साल पूरे कर लिए हैं. सराहनीय कार्य के लिए गांधीनगर रेलवे स्टेशन को वर्ष 2019 में जीएम अवार्ड मिला था. जयपुर डीआरएम की तरफ से भी माइनर स्टेशन के लिए गांधीनगर रेलवे स्टेशन को अवार्ड दिया गया था. भारतीय रेलवे में सफाई के मामले में गांधीनगर रेलवे स्टेशन को 5वीं रैंकिंग मिली है.
महिला स्टाफ के पद...
- स्टेशन अधीक्षक
- स्टेशन मास्टर
- पॉइंट्स मैन
- हेड टीसी
- टीसी
- चीफ रिजर्वेशन सुपरवाइजर
- रिजर्वेशन सुपरवाइजर
- चीफ बुकिंग सुपरवाइजर
- बुकिंग क्लर्क
- हेल्थ इंस्पेक्टर
- आरपीएफ इंस्पेक्टर
- आरपीएफ स्टाफ
आरपीएफ थाना अधिकारी नीलू गोठवाल ने बताया कि गांधीनगर रेलवे स्टेशन पूर्णतया महिला स्टेशन है. यहां पर सभी पदों पर महिला कर्मी तैनात हैं. स्टेशन अधीक्षक, बुकिंग, टीसी, स्टेशन मास्टर, पॉइंट्स मैन और आरपीएफ थाने में भी महिला कर्मी तैनात हैं. महिला पुलिसकर्मी अलग-अलग शिफ्ट में दिन रात अपनी ड्यूटी करती हैं. महिला पुलिसकर्मी यात्रियों के साथ ही उनके सामान की भी चेकिंग करती हैं. गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर आने जाने वाली ट्रेनों की चेकिंग की जाती है, ताकि यात्रियों को किसी तरह की कोई समस्या नहीं हो. विशेष तौर पर महिला कोचों को चेक किया जाता है.
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महिलाओं की सुरक्षा के लिए मेरी सहेली...
रेलवे की ओर से महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मेरी सहेली अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत अगर किसी महिला को कोई समस्या होती है तो महिला पुलिस कर्मी तुरंत उसकी सहायता करती है. इस अभियान के तहत महिलाओं की समस्याओं का तुरंत निपटारा किया जाता है, ताकि महिलाओं की यात्रा सुरक्षित रहे. महिलाएं अपने घर के काम के साथ ही अपनी ड्यूटी को भी बखूबी से निभाती हैं. परिवार के पालन-पोषण के साथ ही अपनी ड्यूटी करना महिलाओं के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहता है, लेकिन फिर भी वह उत्साह पूर्वक अपने जिम्मेदारी निभा रही हैं. महिलाएं अपनी शक्ति को पहचान कर आगे बढ़ें, इससे परिवार और अन्य महिलाओं का भी मनोबल बढ़ता है.
हर जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर ड्यूटी के साथ-साथ परिवार को भी मैनेज करना पड़ता है...
स्टेशन मास्टर सरोज धाकड़ ने बताया कि गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर सभी महिला स्टाफ है. रेलवे स्टेशन पर बहुत ही रिस्पांसिबल काम है. रेलगाड़ियों और यात्रियों की जिम्मेदारी महिला कर्मियों पर है. हमारी जिम्मेदारी है कि गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर जो भी ट्रेन आ रही है उसको सुरक्षित तरीके से आगे निकालना है. रेलवे स्टेशन पर महिलाएं तीन शिफ्ट में अपनी ड्यूटी करती हैं. सुबह 6:00 बजे से 2:00 बजे तक, 2:00 बजे से रात 10:00 बजे और रात 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक तीन शिफ्ट रहती है. अभी ड्यूटी के साथ-साथ परिवार को भी मैनेज करना पड़ता है. कई महिला कर्मियों को अपने परिवार और बच्चों के साथ ही ड्यूटी को भी निभाना पड़ता है. महिला कर्मी ड्यूटी को बखूबी से निभाती हैं. महिला दिवस पर उन्होंने महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि महिलाओं को किसी से भी कम नहीं समझना चाहिए. हाल ही में सबने सुना है कि असम की हिमा दास को डीएसपी बनाया गया है. हिमा दास ने भी देश का नाम रोशन किया है. इसी तरह महिलाएं सभी काम कर सकती हैं. ड्यूटी करते समय अपने आप पर हमें कॉन्फिडेंस रहता है. महिलाएं भारत की जननी होती है.
अधिकारियों और कर्मचारियों का पूरा सहयोग...
हेड टीसी रेखा पवार ने बताया कि महिला स्टेशन पर ड्यूटी करने में बहुत अच्छा लगता है. यहां पर कोई भी परेशानी नहीं है. सभी महिलाएं मिलकर बखूबी से अपना काम करती हैं. उन्होंने महिलाओं को संदेश देते हुए कहा कि बाहर अपना काम करने में महिलाओं को हिचक नहीं होनी चाहिए. महिला किसी से कम नहीं है. जिस तरह से हम लोग काम कर रहे हैं, वैसे सभी महिलाएं काम कर सकती हैं. इस काम के लिए पुरुषों के बराबर ट्रेनिंग दी गई है. महिलाओं के लिए कोई भी कार्य असंभव नहीं है. महिलाएं हर काम को अच्छे से कर सकती हैं. वहीं, इस रेलवे स्टेशन पर काम करने वाली महिला कुली और सफाई कर्मियों का कहना है कि रेलवे स्टेशन पर सभी महिला स्टाफ हैं. जिसकी वजह से कोई भी समस्या नहीं रहती है. छोटी मोटी कोई परेशानी आती है तो अधिकारियों और कर्मचारियों का पूरा सहयोग रहता है.