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Special: राजस्थान में सत्ता की चाबी हाथ में होने के बाद भी कांग्रेसियों को क्यों हो रहा विपक्ष में होने का अहसास? - कांग्रेस

राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं को विपक्ष में होने का एहसास हो रहा है. मुख्यमंत्री, मंत्री, सत्ताधारी दल के विधायक सरकार में होने के बावजूद ढाई साल में कई बार प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतर चुके हैं. जनवरी से अबतक आधा दर्जन बार सत्ताधारी दल (Ruling party) कांग्रेस सड़कों पर उतरी है.

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कांग्रेसियों को विपक्ष में होने का एहसास?

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Published : Jul 8, 2021, 7:33 PM IST

Updated : Jul 8, 2021, 8:05 PM IST

जयपुर: जिस राज्य में जो पार्टी सत्ता में होती है, उस राज्य में सत्ताधारी दल के कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन नहीं करते हैं. दरअसल कानून व्यवस्था बनाए रखना सत्ताधारी दल का काम होता है. सत्ताधारी दल (Ruling party) इसलिए भी विरोध प्रदर्शन नहीं करते हैं, क्योंकि अगर वह विरोध प्रदर्शन करेंगे तो अपनी ही सरकार के विरोध में जाएगा. लेकिन राजस्थान में इस बार हालात अजीबोगरीब बने हुए हैं. राजस्थान में सत्ता में भी कांग्रेस पार्टी है और सड़कों पर विरोध करती हुई भी कांग्रेस पार्टी ही दिखाई देती है.

राज्य और केंद्र में अलग-अलग पार्टी की सरकार होने की वजह से ये हालात बनते हैं. कांग्रेस आलाकमान केंद्र की भाजपा सरकार का विरोध करने के लिए सभी प्रदेशों के लिए धरना-प्रदर्शन के कार्यक्रम बनाती है. फिर चाहे वह बढ़ती महंगाई हो, पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम हों, किसान आंदोलन हो या फिर लोकतंत्र बचाने की बात हो. ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के कार्यक्रमों से उन राज्यों के कार्यकर्ताओं को दिक्कत नहीं होती है, जहां कांग्रेस विपक्ष में है. लेकिन राजस्थान जैसे राज्य जहां सत्ताधारी दल कांग्रेस है, वहां भी पार्टी का कार्यकर्ता सत्ता में होने के बावजूद भी लगातार विरोध प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरने को मजबूर है.

कांग्रेसियों को विपक्ष में होने का एहसास?

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कार्यकर्ता ही नहीं मुख्यमंत्री, मंत्री भी विरोध प्रदर्शन में शामिल होते हैं. सत्ता में आए हुए कांग्रेस पार्टी को ढाई साल का समय गुजर चुका है. इन ढाई साल में एक दर्जन से ज्यादा मौके ऐसे आए, जब कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करते हुए नजर आए. सबसे रोचक तस्वीरें तब सामने आई जब खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य भी कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ सड़क पर विरोध मार्च निकालते हुए दिखाई दिए.

चाहे 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर पैदल यात्रा निकालनी हो या फिर पेट्रोल-डीजल महंगाई जैसे मुद्दों पर सड़कों पर उतरना हो या फिर किसान आंदोलन हो, इन कार्यक्रमों में कांग्रेस कार्यकर्ता के साथ ही सत्ताधारी दल कांग्रेस के मुखिया को ही सड़कों पर उतरना पड़ा.

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राजस्थान में तो बीते साल जुलाई महीने में ऐसी परिस्थिति बन गई थी, जब सत्ताधारी दल कांग्रेस के मुखिया अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के नेतृत्व में सभी मंत्रियों और कांग्रेस के विधायकों ने राजभवन का घेराव कर दिया था. दरअसल बीते साल जब पायलट कैंप ने बगावत की तो गहलोत ने राजभवन से विधानसभा सत्र बुलाने की इजाजत मांगी. लेकिन राजभवन ने इससे इनकार किया.

इसके बाद गहलोत अपने मंत्रियों और विधायकों के साथ राजभवन घेराव करने पहुंच गए और राज भवन के अंदर जमकर नारेबाजी की गई. जिस अतिरिक्त सुरक्षा वाले सिविल लाइंस में कोई परिंदा भी पैर नहीं मार सकता है, उसी सिविल लाइंस में सत्ताधारी दल के मुखिया समेत उनके विधायक और मंत्री राज भवन में प्रवेश कर धरना-प्रदर्शन करते दिखाई दिए.

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1-3 जनवरी तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) के नेतृत्व में सभी मंत्री विधायक केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना देते दिखाई दिए. 2 से 15 जनवरी को जयपुर के सिविल लाइंस फाटक पर कृषि कानूनों और पेट्रोल-डीजल की कीमतों के विरोध में कांग्रेस पार्टी ने विरोध प्रदर्शन किया. इसमें प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा, मंत्री और विधायक शामिल हुए.

3-6 फरवरी: 6 फरवरी को केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने चक्काजाम की घोषणा की, जिसके समर्थन में राजस्थान कांग्रेस के नेता भी चक्काजाम करते हुए नजर आए.4-11 जून: 11 जून को कांग्रेस पार्टी ने पेट्रोल-डीजल और महंगाई के विरोध में धरना प्रदर्शन किया, जिसमें मंत्री-विधायक मौजूद रहे.

5-7 जुलाई: महिला कांग्रेस पेट्रोल-डीजल की कीमतों और गैस की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन कर चूल्हे पर रोटी बनाती हुई दिखाई दी. 6-8 जुलाई: एनएसयूआई (NSUI) डीजल-पेट्रोल की कीमतों के खिलाफ प्रदर्शन कर हस्ताक्षर अभियान चलाती दिखाई दी.

राजस्थान में एक बार फिर सत्ताधारी दल कांग्रेस सड़कों पर दिखाई दे रहा है. इस बार बढ़ती महंगाई, पेट्रोल-डीजल और गैस की कीमतों में बढ़ोतरी होने से केंद्र सरकार के खिलाफ यह विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. 7 जुलाई से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन में सत्ताधारी दल कांग्रेस 17 जुलाई तक सड़कों पर रहेगी.

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7 जुलाई को महिला कांग्रेस प्रदर्शन कर चुकी है. 8 जुलाई को एनएसयूआई ने पेट्रोल पंप पर सिग्नेचर कैंपेन चलाया. 9 जुलाई को सभी विभागों और प्रकोष्ठ के नेतृत्व में पेट्रोल पंप पर सिग्नेचर कैंपेन चलाया जाएगा. 10 जुलाई को भी कांग्रेस के सभी विभाग और प्रकोष्ठ पेट्रोल पंप पर सिग्नेचर कैंपेन चलाएंगे. 11 जुलाई रविवार को वीकेंड कर्फ्यू होने पर आईटी सेल की ओर से सोशल मीडिया पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. 12 जुलाई को प्रदेश युवा कांग्रेस सभी पेट्रोल पंपों पर सिग्नेचर कैंपेन चलाएगी.

13 जुलाई को प्रदेश कांग्रेस सेवादल के नेतृत्व में प्रदेश के सभी पेट्रोल पंपों पर सिग्नेचर कैंपेन चलाया जाएगा. 14 जुलाई को इंटेक्स और असंगठित मजदूर कांग्रेस के नेतृत्व में प्रदेश के सभी पेट्रोल पंपों पर सिग्नेचर कैंपेन चलाया जाएगा. 15 जुलाई को ब्लॉक एवं जिला कांग्रेस कमेटी के नेतृत्व में प्रदेश के सभी पेट्रोल पंपों पर सिग्नेचर कैंपेन चलाया जाएगा.

16 जुलाई को कांग्रेस पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की जिला स्तर पर साइकिल यात्रा निकाली जाएगी. इसमें वरिष्ठ नेता, सांसद, विधायक, सांसद प्रत्याशी और पार्टी पदाधिकारी शामिल होंगे. 17 जुलाई को पार्टी के नेता एवं कार्यकर्ता प्रदेश में मार्च और जुलूस निकालेंगे. इसमें वरिष्ठ नेता, सांसद और विधायक शामिल होंगे.

Last Updated : Jul 8, 2021, 8:05 PM IST

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