जयपुर. ग्रेटर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट (Statement of Jaipur Greater Municipal Corporation Deputy Mayor Puneet Karnavat ) ने प्रदेश के 213 नगर निकायों में 5 करोड़ और उससे अधिक के कार्यों के लिए तकनीकी स्वीकृति जारी करने से पहले स्वायत्त शासन मंत्री की स्वीकृति लेने की अनिवार्यता के आदेश को अलोकतांत्रिक बताया है.
कर्णावट ने कहा है कि राज्य सरकार निरंतर दखलन्दाजी (Government intervention in Municipal Corporation) करके स्थानीय निकायों को पंगु बनाने का प्रयास कर रही है. स्थानीय निकायों के प्रशासनिक और वित्तीय अधिकारों का हनन करके सरकार लोकतंत्र को कमजोर करने का काम कर रही है. इससे निकायों के गठन का उद्देश्य ही खतरे में पड़ गया है. पुनीत कर्णावट ने कहा कि स्थानीय निकाय जनता से चुनकर आए प्रतिनिधियों की एक स्वतंत्र स्वायत्तशासी संस्था है.
उन्होंने कहा कि जनता की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुरूप जनहित के मुद्दों पर चर्चा के बाद बोर्ड की ओर से प्रशासनिक और वित्तिय स्वीकृति के बाद तकनीकी स्वीकृति मिलने पर वार्डों में विकास कार्य किए जाते हैं. लेकिन राज्य सरकार के आदेश के बाद बोर्ड की ओर से जारी स्वीकृत कार्यों की क्रियान्विति से पूर्व स्वायत्त शासन मंत्री से स्वीकृति लेना अनिवार्य होगा. इससे प्रक्रिया में ज्यादा समय तो लगेगा ही साथ ही नगरीय निकायों का औचित्य ही गौण हो जाएगा.