जयपुर/उज्जैन. ताजा मुर्दे की भस्म, शंखनाद, झालर की झंकार और डमरू की डम-डम के साथ गूंजती भक्तों की आवाज, ये नजारा है बाबा महाकाल के दरबार का. सुबह तीन बजे होने वाली भस्मारती शिव के भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देती है. नगाड़ों की थाप के बीच होती शिव आराधना उनके भक्तों में एक नई ऊर्जा का संचार कर देती है. भक्त और भगवान के बीच का ये आध्यात्मिक मिलन सिर्फ उज्जैन में ही देखने को मिलता है.
शिव स्रोत और महामृत्युंजय जाप से गूंजती इस शहर की गलियां, रूद्राक्ष से लदी दुकानें और जगह-जगह मिलता बाबा महाकाल का प्रसाद, ये तमाम चीजें शिव की इस पावन नगरी को खास बनाती है. उज्जैन के सिर्फ एक ही राजा हैं, वो हैं बाबा महाकाल. जब राजा अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं तो प्रजा भी उनके स्वागत में सड़क पर उतर आती है. इस बार अनादि देव शंकर और माता पार्वती के विवाह का है, जिसकी तैयारियों में शहर का कोना-कोना सजा दिया गया है.
महाशिवरात्रि पर शहर के राजा महाकाल का विवाह होगा क्योंकि उज्जैन के राजा कालों के काल महाकाल हैं. इस बार की महाशिवरात्रि पर महाकाल के पट रात दो बजे से खुल जाएंगे, जहां सबसे पहले महाकाल की भस्म आरती होगी और विशेष श्रृंगार के साथ बाबा की पूजा अर्चना होगी.