जयपुर. गुलाबी नगरी जयपुर के बाशिंदे 13 मई 2008 का वो काला दिन आज भी भूल नहीं पाए हैं. जब एक के बाद एक हुए 8 सीरियल बम ब्लास्ट से शहर खून से लाल हो गया था. हर तरफ चीख पुकार और इधर उधर लाशें बिखरी पड़ी थी. यह वो दिन था जिसकी कल्पना जयपुरवासियों ने कभी भी नहीं की होगी. 13 मई 2008 को हुए बम धमाकों की 11 वीं बरसी है. कहने को तो 11 साल बीत चुके हैं. लेकिन हादसे में अपनो को खोने वालों के जख्म आज भी हरे हैं.
जयपुर बम ब्लास्ट की 11वीं बरसी, पीड़ितों के जख्म आज भी हरे
राजधानी जयपुर में 13 मई 2008 को हुए 8 बम धमाकों को 11 साल बीत चुके हैं, लेकिन ब्लास्ट में अपनों को खोने वालों के जख्म आज भी हरे हैं. वहीं 11 साल बाद भी इंसाफ नहीं मिलने से दुखी भी हैं.
सीरियल ब्लास्ट की घटना को 11 साल बीत गए हैं. लेकिन उस खौफनाक मंजर को याद कर लोग आज भी सिहर जाते हैं. 13 मई 2008 को सबसे पहला बम ब्लास्ट सांगानेरी गेट स्थित हनुमान मंदिर में हुआ था. यहां हुए धमाके में 14 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. वहीं कई लोग गंभीर घायल हुए थे. राजधानी में हुए 8 सीरियल ब्लास्ट में 75 लोगों की मौत हुई थी, वहीं 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इन धमाकों में जान गंवाने और घायल होने वालों के परिजनों को आज भी इंसाफ की आस है. ब्लास्ट केस में नामजद तीन आतंकी अभी तक पुलिस गिरफ्त से दूर है. जिनके नाम मिर्जा शादाब बेग उर्फ मलिक, साजिद बट और मोहम्मद खालिद है.
जयपुर बम ब्लास्ट के चश्मदीदों से जब 13 मई 2008 के धमाकों के बारे में बात की गई. तो उनकी आंखों में उस खौफनाक मंजर का डर साफ नजर आ रहा था. हालांकि बम ब्लास्ट के बाद से जयपुर में सुरक्षा व्यवस्थाओं को पुख्ता कर दिया गया है. आज पूरा शहर सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में है. जिसकी मॉनिटरिंग अभय कमांड सेंटर से पुलिस अधिकारियों द्वारा की जाती है. पुख्ता व्यवस्थाओं को देखते हुए जयपुरवासी अपनी सुरक्षा को लेकर आश्वस्त हैं. लेकिन कहीं ना कहीं उनके मन में यह खौफ जरूर है कि 13 मई 2008 जैसा घटनाक्रम कहीं वापस ना घटित हो जाए.