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Exclusive : जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करना दुर्भाग्यपूर्ण : राधाकांत सक्सेना - दलगत राजनीति के बीच जांच एजेंसियां

पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश के बाद अब राजस्थान ने भी सीबीआई को दी हुई शक्तियां वापस ले ली गई हैं. अब प्रदेश में किसी भी केस की जांच के लिए सीबीआई को प्रदेश सरकार की अनुमति लेनी होगी. लेकिन क्या शक्तियां वापस लेने के बाद सीबीआई प्रदेश में जांच कर सकती है. इस संबंध में रिटायर्ड आईजी जेल राधाकांत सक्सेना से ईटीवी भारत की खास बातचीत...

जयपुर समाचार, jaipur news
रिटायर्ड आईजी जेल राधाकांत सक्सेना

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Published : Jul 23, 2020, 7:30 PM IST

जयपुर.राजस्थान में ऐसा पहली बार हुआ है कि प्रदेश की गहलोत सरकार ने सीबीआई को राज्य में बिना अनुमति जांच करने पर रोक लगाई हो. राज्य सरकार की ओर से पिछले दिनों सीबीआई को दी गई शक्तियों को वापस ले लिया गया था. इस आदेश के वापस लेने के साथ ही राजस्थान उन राज्यों में शामिल हो गया, जिन्होंने एक तरफ से सीबीआई की राज्य में जांच करने पर पाबंदी लगा रखी है.

पार्ट-1 रिटायर्ड आईजी जेल राधाकांत सक्सेना से खास बातचीत

दरअसल, यह सब इसलिए हुआ क्योंकि राजस्थान में सीएम गहलोत बनाम पायलट की लड़ाई अब विधानसभा अध्यक्ष से कोर्ट तक गई और अब कोर्ट से होती हुई सीबीआई तक पहुंच गई. इस दौरान कांग्रेस ने ऑडियो क्लिप का हवाला देकर दावा किया कि राज्य में भाजपा कांग्रेस विधायकों के साथ मिलकर सरकार गिराने का प्रयास कर रही है. वहीं, ऑडियो टेप वायरल हुआ तो विपक्ष में बैठी भाजपा ने इस पूरे मामले की जांच एसओजी से ना कराके सीबीआई से कराने की मांग तेज कर दी. इसी बीच राज्य सरकार ने प्रदेश में एक नोटिफिकेशन जारी करके सीबीआई को दी गई शक्तियों को वापस लेते हुए जांच का रास्ता बंद कर दिया.

पार्ट-2 रिटायर्ड आईजी जेल राधाकांत सक्सेना से खास बातचीत

अब क्या राज्य सरकार के इस आदेश के बाद सीबीआई प्रदेश में किसी मामले की जांच कर सकती है. ऐसे ही कुछ सवालों पर कानून विद और रिटायर्ड जेल आईजी राधाकांत सक्सेनाबताते हैं कि राज्य सरकार द्वारा नोटिफिकेशन जारी किया गया है, इसका मतलब यह नहीं है कि राज्य सरकार ने सीबीआई की राजस्थान में एंट्री बंद कर दी हो. राज्य सरकार की तरफ से सीबीआई को कुछ सहमति दी हुई होती है. उस सहमति को राज्य सरकार ने वापस ले लिया है, लेकिन इससे ऐसा नहीं है कि सीबीआई प्रदेश में किसी मामले की जांच नहीं कर सकती. सीबीआई चाहे तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जरिए इजाजत लेकर प्रदेश में जांच करने के लिए आ सकती है.

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इसके साथ ही सक्सेना ने कहा कि जरूरी बात है कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच काम करने का और काम के तरीके में बटवारा शुरू से हो रखा है. कानून व्यवस्था में राज्यों के पास अपने अधिकार हैं और केंद्र के पास अपनी अलग शक्तियां है. सीबीआई किसी भी मामले की जांच के लिए या तो वह राज्य सरकार से अनुमति ले और अगर अनुमति नहीं मिलती है तो वह कोर्ट के जरिए अनुमति लेकर जांच कर सकती हैं. उसे अगर प्रदेश सरकार की या राज्य की पुलिस का सहयोग नहीं मिलेगा तो वह जांच सही तरीके से नहीं कर पाएगी.

पार्ट-3 रिटायर्ड आईजी जेल राधाकांत सक्सेना से खास बातचीत

इसके साथ ही राधाकांत सक्सेना ने कहा कि इन हालातों में टकराव की स्थिति बन सकती है, जैसा अन्य राज्यों में हुआ है. इसलिए जरूरी है कि किसी भी मामले की जांच निष्पक्षता से हो उसके लिए राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. राधाकांत सक्सेना बताते हैं कि दलगत राजनीति की वजह से और जांच एजेंसियों में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ रहा है. इसी वजह से ऐसे हालात बने हैं. पश्चिम बंगाल का उदाहरण हमारे सामने है कि वहां पर किसी मामले की जांच करने गई सीबीआई टीम का विरोध नहीं हुआ, बल्कि वहां की स्टेट पुलिस ने सीबीआई के अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया.

उन्होंने बताया कि यह सब इसलिए होता है कि जब केंद्र और राज्य में अलग-अलग सरकारें होती है तो इस तरह की समस्या सामने खड़ी होती है. राजस्थान ऐसा पहला राज्य नहीं है. इसके अलावा पश्चिमी बंगाल, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और अब राजस्थान यहां पर अन्य पार्टी की सरकारें हैं. वहां पर सीबीआई को दी हुई शक्तियों को वापस ले लिया गया है. राधाकांत सक्सेना वर्तमान में जांच एजेंसियों के हो रहे दुरुपयोग को लेकर चिंता जाहिर करते हैं और कहते हैं कि मौजूदा वक्त बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार अपने स्तर पर जांच एजेंसियों का उपयोग कर रही है. केंद्र सरकार अपने स्तर पर जांच एजेंसियों का उपयोग कर रही है. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. जांच एजेंसियों को स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए ताकि वह नैतिकता के साथ जांच कर सके.

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राधाकांत सक्सेना बताते हैं कि सीबीआई को दो तरह (खास और जनरल) की अनुमति होती है. खास अनुमति में किसी राज्य सरकार के कर्मचारी या अपराध में संबंधित मामले की जांच सीबीआई तभी कर सकती जब उसके पास राज्य सरकार की सहमति होगी. वहीं, जनरल सहमति आमतौर पर सीबीआई को राज्य में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने में मदद करने के लिए दी जाती है. क्योंकि, लगभग सभी राज्यों से सहमति देते हैं. अगर ऐसा नहीं हो तो सीबीआई को कोर्ट के जरिए राज्य सरकार की सहमति लेनी होगी.

वहीं, दूसरी ओर कुछ ऐसे मामले होते हैं जिनकी अनुमति निर्देश कोर्ट के जरिए जाते है. ऐसे मामलों में राज्य सरकार सहमति नहीं देती है. राजस्थान में दारिया एनकाउंटर एक ऐसा मामला था, जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच करने के निर्देश दिए थे. राधाकांत सक्सेना का कहना है कि मौजूदा दौर में इस तरीके से जांच एजेंसियों के साथ राजनीतिक हस्तक्षेप रहा है. उससे न्याय व्यवस्था पर लोगों का भरोसा कम होने लगा है. जांच एजेंसियों पर किसी तरह का राजनीतिक नियंत्रण नहीं होना चाहिए.

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