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राजस्थान में ’पोस्ट-कोविड’ स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर चलेगा विशेष अभियान....मुख्यमंत्री ने कहा- स्पेशल टीमें करेंगी अनुसंधान

राज्य सरकार कोरोना महामारी के रोगियों के ठीक होने के बाद भी स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभावों का गहन अध्ययन और विश्लेषण कराएगी. प्रदेशभर के विशेषज्ञ डाॅक्टर कोरोना वायरस के मानव शरीर पर होने वाले दुष्प्रभावों को रोकने के लिए अनुसंधान करेंगे.

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कोरोना समीक्षा बैठक राजस्थान

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Published : Jan 2, 2021, 10:17 PM IST

जयपुर.राजधानी में कोविड-19 समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पोस्ट कोविड स्वास्थ्य समस्याओं का विशेष अध्ययन कराया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना से स्वस्थ होने के बावजूद मरीजों में फेफड़ों, दिमाग में संक्रमण, याददाश्त खोने, हृदय रोग जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं जो चिंता का विषय हैं.

कोविड-19 समीक्षा बैठक में पोस्ट कोविड स्वास्थ्य को लेकर चर्चा...

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार कोरोना महामारी के रोगियों के ठीक होने के बाद भी स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभावों का गहन अध्ययन एवं विश्लेषण करवाएगी. उन्होंने प्रदेशभर के विशेषज्ञ डाॅक्टरों से कहा कि कोरोना वायरस के मानव शरीर पर होने वाले दुष्प्रभावों को रोकने के लिए प्रभावी प्रोटोकाॅल तैयार करने के लिए विशेष टीमें बनाकर अनुसंधान किया जाए. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ’पोस्ट-कोविड’ स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जागरूकता के लिए विशेष अभियान चलाने के लिए निर्देशित किया.

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सीएम गहलोत शनिवार को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो काॅन्फ्रेंस के माध्यम से विभिन्न विभागों के अधिकारियों तथा विशेषज्ञ चिकित्सकों के समूह के साथ प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि कोविड-19 से ठीक हुए रोगियों में फेफड़ों और दिमाग में संक्रमण, याददाष्त खोने, हृदय रोग तथा डायबिटीज बढ़ने जैसे कई तरह के शारीरिक एवं मानसिक प्रभाव सामने आ रहे हैं. यह चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि ऐसे रोगियों को भविष्य में स्वास्थ्य परेशानियों का सामना नहीं करना पडे़, इसके लिए पोस्ट कोविड उपचार पर विशेष जोर दिया जाए और इसके लिए कारगर गाइडलाइन तैयार की जाए.

आमजन के बीच पोस्ट कोविड समस्याओं का व्यापक प्रचार करें

मुुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने कोविड के दुष्प्रभावों से लोगों को बचाने के लिए पोस्ट कोविड क्लिनिक की व्यवस्था की है, लेकिन जागरूकता के अभाव में लोग इनका पूरा लाभ नहीं ले पा रहे हैं. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी कोरोना रोगियों तक यह जानकारी पहुंचाई जाए कि वे ठीक होने के बाद भी कोई लक्षण दिखने पर समुचित इलाज के लिए डाॅक्टर से संपर्क करें. कोविड के विभिन्न दुष्प्रभावों और उनके इलाज के लिए जरूरी सुविधाएं जुटाने के साथ ही व्यापक प्रचार-प्रसार कर आम लोगों को जागरूक किया जाए, ताकि समय रहते जरूरी उपचार लिया जा सके.

रात्रिकालीन कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध कुछ दिन और जारी रहेंगे

गहलोत ने कहा कि रात्रिकालीन कर्फ्यू जैसे निर्णयों तथा बेहतरीन प्रबंधन के चलते प्रदेष में कोरोना की स्थिति अब काफी हद तक नियंत्रण में है. मृत्यु दर लगातार कम हो रही है, रिकवरी रेट बढ़ रही है. साथ ही, पाॅजिटिव केसों की संख्या काफी कम हो गई है. उन्होंने इन निर्णयों के सकारात्मक परिणामों को दृष्टिगत रखते हुए रात्रिकालीन कर्फ्यू सहित विभिन्न गतिविधियों पर प्रतिबंध फिलहाल आगामी कुछ और दिनों तक जारी रखने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि थोडे़ समय और एहतियात रखने से कोरोना संक्रमण को न्यूनतम स्तर तक लाने में मदद मिलेगी.

प्रदेश में वैक्सीनेशन के ड्राई रन की सफलता सुखद

मुख्यमंत्री ने कोविड के टीकाकरण के लिए प्रदेष में किए गए ’ड्राई रन’ की सफलता पर प्रसन्नता जाहिर की. उन्होंने कहा कि कोविड रोगियों की संख्या कम होने के साथ ही वैक्सीनेशन की दिषा में हमारे तेजी से बढ़ते कदम सुखद संकेत हैं. हमारा प्रयास है कि प्रदेश में जल्द से जल्द वैक्सीनेशन शुरू हो और अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ मिले. उन्होंने वैक्सीन के परिवहन के साथ-साथ प्रशिक्षण, लोगों को इसे लगाने के लिए प्रोत्साहित करने तथा इसके संबंध में भ्रांतियों को दूर करने पर विषेष जोर दिया.

स्वास्थ्य मित्रों से सहयोग लेंगे डाॅक्टर

गहलोत ने कहा कि विभिन्न बीमारियों से पीड़ित रोगियों को सरकारी अस्पतालों में इलाज मिलने में सहायता के लिए राज्य सरकार ने स्वास्थ्य मित्रों का चयन किया है. ये लोग समाज सेवा के रूप में जरूरतमंद मरीजों की मदद करेंगे. उन्होंने कहा कि इसके लिए जिला अस्पतालों से लेकर स्वास्थ्य उपकेन्द्रों तक डाॅक्टरों तथा स्वास्थ्य अधिकारियों को स्वास्थ्य मित्रों से सहयोग करने के लिए निर्देशित किया जाए.

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. रघु शर्मा ने बताया कि प्रदेष के विभिन्न अस्पतालों में कोरोना पाॅजिटिव रोगियों की संख्या कम होने के कारण ईएसआई अस्पताल को नाॅन-कोविड करने तथा 100 से अधिक बेड वाले अस्पतालों में कोविड के लिए आरक्षित बेड की संख्या 40 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत एवं 100 से कम बेड वाले अस्पतालों में 30 से घटाकर 20 प्रतिषत करने के संबंध में निर्देश दिए गए हैं.

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चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन ने कोविड-19 की स्थिति पर प्रस्तुतीकरण में बताया कि प्रदेश में अब कोरोना के एक्टिव 9,223 रह गई है, जो जुलाई माह के अन्तिम सप्ताह की संख्या के बराबर है. वर्तमान में 1200 बेड वाले आरयूएचएस अस्पताल में कोविड के केवल 101 मरीज भर्ती है. राजस्थान में पाॅजिटिविटी दर तथा रिकवरी दर में भी लगातार सुधार हो रहा है. महाजन ने बताया कि शनिवार को प्रदेश के सभी जिलों में कोरोना पाॅजिटिव रोगियों की संख्या 500 से भी कम रही. उन्होंने बताया कि कोविड वैक्सीनेशन के लिए तैयारियां तीव्र गति से चल रही है. विभिन्न स्तर पर वैक्सीन अभियान से जुड़े स्वास्थ्य कर्मियों तथा अन्य कार्मिकों को समुचित प्रशिक्षण दिया जा रहा है. आमजन को वैक्सीन लगाने की तैयारी के तहत इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जनप्रतिनिधियों, संस्थाओं तथा संगठनों से सहयोग का पूरा खाका भी तैयार कर लिया गया है.

बैठक में उपस्थित विशेषज्ञ डाॅक्टरों ने रात्रिकालीन कर्फ्यू तथा सार्वजनिक स्थलों पर भीड़-भाड़ को रोकने जैसे प्रतिबंधों को फिलहाल नहीं हटाने का सुझाव दिया. उनका मानना था कि सर्द मौसम और तीव्र गति से संक्रमण फैलाने वाले कोरोना वायरस के ’नए स्ट्रेन’ की उपस्थिति के दृष्टिगत प्रतिबंध जारी रहने चाहिए. डाॅक्टरों ने आगामी कुछ दिनों में शुरू होने वाले टीकाकरण अभियान पर विस्तृत चर्चा की. उन्होंने बताया कि जो वैक्सीन उपलब्ध कराई जाएगी वह काफी प्रभावी है. लेकिन लोगों को कोविड-19 की वैक्सीन लगाने के बाद भी कई सप्ताहों तक मास्क पहनने, नियमित रूप से हाथ धोने, सामाजिक दूरी और भीड़-भाड़ से बचने जैसे हैल्थ प्रोटोकाॅल की पालना करना बहुत आवश्यक है.

इस अवसर पर चिकित्सा राज्य मंत्री डाॅ. सुभाष गर्ग, मुख्य सचिव निरंजन आर्य, पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर, प्रमुख शासन सचिव गृह अभय कुमार, शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा वैभव गालरिया, शासन सचिव स्वायत्त शासन भवानी सिंह देथा, एसएमएस मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुधीर भण्डारी, चिकित्सा विशेषज्ञ डाॅ. वीरेन्द्र सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. राजाबाबू पंवार तथा वरिष्ठ विशेषज्ञ डाॅक्टर वीडियो काॅन्फ्रेंस के माध्यम से जुड़े.

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