जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि भारी मात्रा में सोना तस्करी भी आतंकी घटना के समान है. ऐसे में सीमा शुल्क के साथ ही एनआईए विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम के तहत भी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में एनआईए में दर्ज एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने यह आदेश आरोपी मोहम्मद असलम की याचिका पर दिए. अदालत ने कहा कि आरोपी प्रथमदृष्टया तस्करी में शामिल है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि मामले में एनआईए ने बिना आधार मामला दर्ज किया हो.
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याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता सहित नौ अन्य आरोपियों को 18 किलोग्राम से अधिक सोना तस्करी के आरोप में पकडा गया था, जिसे लेकर आर्थिक अपराध अदालत में मुकदमा चल रहा है. वहीं, सोना तस्करी के आरोप में ही एनआईए ने गत 22 सितंबर को उसके खिलाफ विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम और आपराधिक षड्यंत्र के तहत मामला दर्ज कर लिया. जबकि एक समान आरोप को लेकर दो एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती.
इसलिए एनआईए की एफआईआर को रद्द की जाए, जिसका विरोध करते हुए एएसजी आरडी रस्तोगी ने कहा कि आरोपी भारी मात्रा में सोना तस्करी में शामिल है. अधिनियम की धारा 15 के तहत इसे आतंकी कार्रवाई के समान ही माना जाएगा. इसलिए इसे सीमा शुल्क से अलग अपराध मानते हुए कार्रवाई की जा सकती है. यह इतना गंभीर आरोप है कि अदालत उसी सूरत में जमानत दे सकती है, जब कोर्ट यह माने कि आरोपी पर कोई केस ही नहीं बनता है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया है.