जयपुर. 15वीं विधानसभा के 5वें सत्र में चल रही कार्यवाही में कोरोना महामारी पर हुई चर्चा में जबरदस्त हंगामा हुआ. हालात यह बने कि हंगामे के चलते विधानसभा को 3 बार स्थगित करना पड़ा है. 2 बजे तक स्थगित करने के बाद अब कार्यवाही फिर शुरू हुई.
दरअसल, हंगामे की शुरुआत पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ के बहस में भाग लेने के दौरान शुरू हुई, जब उन्होंने कांग्रेस पर कोरोना संक्रमण के दौरान दी जाने वाली राहत सामग्री में भेदभाव का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बजट सत्र में जब कोरोना पर चर्चा हुई तो भाजपा ने जिम्मेदार विपक्षी दल के नाते इस बीमारी में राजनीति से ऊपर उठकर सामूहिक रूप से लड़ाई लड़ने की सोची. शुरू शुरू में तो मुख्यमंत्री ने भी सभी राजनीतिक दलों को बुलाया, विधायकों से भी बात की और बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के सबका सहयोग लेकर लड़ाई जीतने की कोशिश की. लेकिन अफसोस की बात है कि कांग्रेस पार्टी के सत्ताधारी दल ने कोरोना महामारी से लड़ने वाली पूरी व्यवस्था का ही कांग्रेसी करण किया.
कोरोना पर हंगामेदार रही चर्चा उन्होंने कहा कि आज तक राजस्थान में जब भी आपदा प्रबंधन हुआ तब सिविल डिफेंस और नगर निगम के लोगों से यह काम हुआ. लेकिन इस बार उनको यह निर्देश दिए गए कि जहां कांग्रेस के विधायक हैं, वहां विधायकों के जरिए और जहां भाजपा के विधायक हैं वहां पर कांग्रेस पदाधिकारियों की ओर से राशन कार्ड बांटे जाए.
उन्होंने आगे कहा कि अगर निष्पक्षता से किसी अधिकारी ने राशन किट वितरण करने का काम किया तो उसे हटाने का काम किया गया. उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र मालवीय नगर का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके क्षेत्र में जो नगर निगम अधिकारी निष्पक्षता से काम कर रहे थे, उन्हें हटाया गया और कांग्रेस का पक्ष लेने वाले ऐसे अधिकारी को वहां लगाया गया.
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इसके आगे उन्होंने और भी कई आरोप लगाते हुए कहा कि उनके कहने पर जो अधिकारी सैनिटाइजर का छिड़काव करने गया उसका यूडीएच मंत्री ने जैसलमेर में ट्रांसफर कर दिया. हालात यह बनी कि कांग्रेस के विधायकों और पदाधिकारियों के बांटे गए राशन वाले क्षेत्र में लोगों ने चार-चार पांच-पांच महीने का राशन इकट्ठा कर लिया जबकि दूसरी ओर लोग भूखे बैठे रहे.
कार्यवाही के दौरान कालीचरण सराफ ने आरोप लगाया कि विपक्ष के विधायकों ने भी राशन वितरण के लिए पैसा दिया, लेकिन कार्यकारी अधिकारियों ने विपक्षी विधायकों की ओर से दिए गए पैसे का वितरण भी कांग्रेसी पदाधिकारियों की ओर से करवाया गया. इस आरोप के बाद अचानक विधानसभा में हंगामा हो गया.
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इस पर मंत्री शांति धारीवाल ने जवाब देते हुए कहा कि आप गलत कह रहे हैं आपके कहने और आपने जो लिस्ट दी उसी के हिसाब से राशन वितरण किया गया है. उन्होंने भी सराफ पर आरोप लगाया कि केवल राजनीति करने के लिए बोल रहे हैं. वे उन लोगों की लिस्ट दे सकते हैं, जिन्हें लोगों ने राशन देने के लिए कहा था.
इस पर मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा विधायकों ने काम तो कुछ किया नहीं केवल झूठ बोलने का ठेका ले रखा है. इस बात पर सदन में हंगामा और बढ़ गया. भाजपा विधायक और कांग्रेस के विधायक अपनी सीटों पर खड़े हो गए और हंगामा करने लगे.
हंगामे के बीच भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी ने स्पीकर से हाउस में डिस्टर्ब करने वालों को बाहर निकालने को कहा. इस पर प्रताप सिंह ने कहा कि बाहर निकालने में दम चाहिए. ऐसा कहकर उन्होंने अपनी भुजाएं लहरा दी जिसके बाद सदन में फिर से हंगामा तेज हो गया. नेता प्रतिपक्ष गुलाब कटारिया ने कहा कि भुजाएं दिखाने की कोशिश ना करें
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सदन में चल रहे हंगामे में आग में घी का काम किया मंत्री शांति धारीवाल के उस प्रस्ताव ने जिसमें उन्होंने कहा कि यदि कालीचरण सराफ अपने शब्द वापस नहीं लेते हैं तो मैं प्रस्ताव लाता हूं कि कालीचरण सराफ को विधानसभा सत्र की कार्यवाही चलने तक विधानसभा से बाहर निकाल दिया जाए. जिसपर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि यह विधानसभा है, जो नियमों से चलती है. अगर हिम्मत है तो प्रस्ताव लेकर आइए. ऐसे में हंगामा बढ़ता देख सभापति की कुर्सी पर बैठे महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने सदन की कार्यवाही को आधे घंटे के लिए स्थगित कर दिया.
जब कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो सभापति के तौर पर राजेंद्र पारीक आए लेकिन दोबारा शुरू होते ही फिर हंगामा शुरू हो गया. इस बार राजेंद्र राठौड़ की ओर से मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ प्रस्ताव लाने की बात कही गई, जिस पर सभापति राजेंद्र पारीक ने मंत्री पर नाम लेकर आरोप लगाने को गलत बताया. वहीं मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा कि सदन में 2 प्रस्ताव रखे गए हैं. एक शांति धारीवाल की ओर से कालीचरण सराफ के खिलाफ और दूसरा राजेंद्र राठौड़ ने रखा है शांति धारीवाल के खिलाफ. इन दोनों पर मत विभाजन करवा लिया जाए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए. इस पर हंगामा बढ़ते देख दूसरी बार फिर सभापति राजेंद्र पारीक ने सदन की कार्यवाही को 15 मिनट के लिए स्थगित किया.
तीसरी बार जब विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो सभापति राजेंद्र पारीक ने आते ही विधानसभा की कार्यवाही को 2:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. उसके बाद कार्यवाही फिर शुरु की गई.