जयपुर.परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास की ओर से 3 दिन पहले 1 सप्ताह के अंतर्गत इलेक्ट्रिक बसें चलाने को लेकर घोषणा कर दी गई थी, लेकिन अब तक इलेक्ट्रिक बस चलाने को लेकर संशय लगातार बना हुआ है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मंत्री की ओर से घोषणा तो कर दी गई, लेकिन रोडवेज प्रशासन की ओर से अभी तक इलेक्ट्रिक बस के ढांचे भी तैयार नहीं किए गए हैं.
ऐसे में 1 फरवरी से इलेक्ट्रिक बस चलाना रोडवेज के लिए मुमकिन नहीं नामुमकिन कार्य है. अब रोडवेज मुख्यालय में भी लगातार इस बात को लेकर अधिकारियों के बीच ये चर्चा का विषय बन गया है.
बता दें कि परिवहन मंत्री की ओर से 1 सप्ताह के अंतर्गत इलेक्ट्रिक बसें चलाने को लेकर बात कही गई थी. साथ ही उन्होंने कहा था कि दिल्ली के अंदर फिर से बीकानेर हाउस तक बसे जाएंगी. अब रोडवेज के वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो फिलहाल रोडवेज के पास इलेक्ट्रिक बसे ही नहीं है. ना हीं अभी तक उनकी कोई खरीद भी की गई है. रोडवेज प्रशासन कंपनी की ओर से 48 बसें अनुबंध पर लेने जा रहा था, लेकिन अभी तक रोडवेज की ओर से इसका ढांचा भी तैयार नहीं किया गया है. साथ ही रोडवेज के अधिकारियों की मानें तो मार्च महीने तक बसे मिलना भी मुश्किल है और जब बसे है ही नहीं तो जाएंगी कैसे और बसे बीकानेर हाउस नहीं चल पाएंगी.
बता दें कि रोडवेज प्रशासन और निजी कंपनी के बीच जो अनुबंध हुआ है उसके अंतर्गत रोडवेज प्रशासन इलेक्ट्रिक कंपनी को प्रति किलोमीटर ₹45 तक का भुगतान करेगी. साथ ही जो बस को चार्ज करने का खर्चा है वो भी रोडवेज प्रशासन को ही भुगतना पड़ेगा. ऐसे में अभी तक किसी भी तरह का आधारभूत ढांचा है वो भी रोडवेज प्रशासन की ओर से तैयार नहीं किया गया है. ऐसे में 1 फरवरी से इलेक्ट्रिक बसों का चलना असंभव है.