जयपुर.कोरोना के संक्रमण के बीच हुए परेशानियों से निपटने के लिए लगातार राज्य सरकार केंद्र सरकार से आर्थिक मदद की मांग कर रही है. इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस संक्रमण काल में राज्यों की आर्थिक मदद करने का आह्वाहन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से किया है. इस दौरान ETV BHARAT ने लॉकडाउन में हो रही समस्याओं को लेकर राजस्व मंत्री हरीश चौधरी का EXCLUSIVE INTERVIEW लिया.
राजस्व मंत्री हरीश चौधरी का EXCLUSIVE INTERVIEW ऐसे में मंत्री हरीश चौधरी ने कहा है कि आज राज्य सरकारें संसाधनों की कमी से जूझ रही है, टैक्स कलेक्शन और अन्य संसाधनों से उन्हें जो रेवेन्यू मिलता था, वह अभी बंद है. लेकिन खर्च सरकारों का पहले की तुलना में बढ़ गया है. ऐसे में सीमित संसाधनों के साथ पीड़ितों, किसानों को कैसे राहत दे, राज्य सरकार उसका प्रयास कर रही है और इस लड़ाई की मार भी राज्य सरकार ही ज्यादा झेल रही है. इन हालातों में अगर केंद्र सरकार, राज्य सरकारों को आर्थिक सहायता नहीं देगा, तो फिर कब देगा.
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मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि यह पैसा किसी का निजी पैसा नहीं है. यह नागरिकों का धन है और अगर उन्हें आपदा के समय ही यह नहीं मिला तो इसका फायदा ही क्या? केंद्र सरकार से मदद मिलनी चाहिए, लेकिन अगर वह मदद आपदा के समय नहीं मिली तो फिर उस मदद का फायदा ही क्या? वहीं, मंत्री चौधरी ने कहा कि प्रदेश का किसान मजबूत और संघर्षशील किसान हैं. यही कारण है कि एक ही फसल में हमारे किसान ने टिड्डियों का हमला, ओलावृष्टि, अतिवृष्टि और अब कोरोना के संक्रमण की परेशानी झेल रहे है. इसके बावजूद भी किसान ने हार नहीं मानी और आज उस अन्नदाता का अन्न मंडियों में बिकने के लिए तैयार है.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास जो संसाधन है और जो पारंपरिक कार्यप्रणाली थी, इस आपदा के समय में उसमें बदलाव किया गया है, जिन तरीकों में बदलाव किया गया है, उसमें फसल खरीद भी शामिल है. उन्होंने कहा कि निचले स्तर पर जीएसएस के माध्यम से फसल खरीद में जो कमियां होगी, उन्हें दूर किया जाएगा. उन्होंने स्वीकार किया कि संसाधनों में कमी निश्चित तौर पर होगी, लेकिन राज्य सरकार उन कमियों को किसान हितों में बदलने का पूरा प्रयास कर रही है.
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इसके साथ ही मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि देश की जो लोकतांत्रिक व्यवस्था है, उसमें जनप्रतिनिधि की अहम भूमिका होती है. आपदा के समय में अगर जनता के साथ सीधा जुड़ाव किसी का होता है तो वह चाहे कोई वार्ड पंच हो या लोकसभा का सदस्य, एक जनप्रतिनिधि का ही होता है. वहीं, उन्होंने कहा कि चुनाव स्थगित होने से यह कड़ी कुछ कमजोर हुई है और इसका नुकसान भी राज्य सरकार को ही झेलना पड़ा है.