जयपुर. बुधवार को राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय में पर्यावरण विभाग के सचिव दीप नारायण पांडे की अध्यक्षता में एक बैठक हुई. इस बैठक में बोर्ड सचिव शैलजा देवल और एनजीटी की ओर से गठित कमेटी के चेयरमैन जस्टिस दीपक माहेश्वरी भी मौजूद थे. इस बैठक में राजस्थान के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए.
जस्टिस दीपक माहेश्वरी में बैठक में आए सभी धार्मिक स्थलों के प्रतिनिधियों को ऐसी संस्थाओं, गावों और ग्राम पंचायतों के उदाहरण बताएं. जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण और प्लास्टिक का उपयोग न करने के महत्वपूर्ण निर्णय किए हैं. बैठक में जानकारी भी दी कि किस तरह से कचरे और धार्मिक स्थलों पर चढ़ाए जाने वाले फूल मालाओ आदि चीजों का किस तरह से उपयोग किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि गोबर से कागज बनाने और मंदिर के कचरे, फूल मालाओं को रीसाइकिलिंग कर जैविक खाद और सीएनजी गैस बनाई जा सकती है.
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सवामणी करने वालों को समझाए-
बैठक में धार्मिक स्थलों पर सवामणी करने वाले लोग गंदगी छोड़ कर चले जाते है। धार्मिक स्थलों के प्रतिनिधियों को कहा गया कि वे ऐसे लोगो को समझाए। यह लोग प्लास्टिक का भी बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं प्लास्टिक को छोड़कर पत्तल दोने का ज्यादा इस्तेमाल करने को कहा जाना चाहिए और इस मुहिम में धार्मिक स्थलों के प्रतिनिधि एक अहम भूमिका निभा सकते हैं। क्योंकि इनकी बार बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक मानते है।
धार्मिक स्थलों पर आने वाले लोगों को शपथ दिलाई जाए-
सचिव शैलजा देवल ने कहा कि धार्मिक स्थलों के प्रतिनिधियों को प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना चाहिए. वहां आने वाले लोगों को भी इसके लिए मना करना चाहिए. साथ ही श्रद्धालुओं को शपथ दिलानी चाहिए कि वह आगे से प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे. प्लास्टिक थैली लेकर आने वालों को मंदिर में प्रवेश नही देना चाहिए.
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