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राजस्थान प्रदूषण बोर्ड की अनूठी मुहिम, अब राज्य सरकार के दूत बनकर पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करेंगे धार्मिक स्थल

राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक अनूठी मुहिम शुरू की है. इस मुहिम के जरिए धार्मिक स्थलों को साथ में लेकर पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को आगे बढ़ाया जाएगा. धार्मिक स्थलों को प्लास्टिक मुक्त बनाने के साथ ही इन धार्मिक स्थलों के माध्यम से लोगो को प्लास्टिक का उपयोग नही करने और साफ सफाई रखने का भी संदेश दिया जाएगा.

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Published : Nov 6, 2019, 10:52 PM IST

जयपुर. बुधवार को राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय में पर्यावरण विभाग के सचिव दीप नारायण पांडे की अध्यक्षता में एक बैठक हुई. इस बैठक में बोर्ड सचिव शैलजा देवल और एनजीटी की ओर से गठित कमेटी के चेयरमैन जस्टिस दीपक माहेश्वरी भी मौजूद थे. इस बैठक में राजस्थान के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए.

प्रदूषण बोर्ड की अनूठी मुहिम

जस्टिस दीपक माहेश्वरी में बैठक में आए सभी धार्मिक स्थलों के प्रतिनिधियों को ऐसी संस्थाओं, गावों और ग्राम पंचायतों के उदाहरण बताएं. जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण और प्लास्टिक का उपयोग न करने के महत्वपूर्ण निर्णय किए हैं. बैठक में जानकारी भी दी कि किस तरह से कचरे और धार्मिक स्थलों पर चढ़ाए जाने वाले फूल मालाओ आदि चीजों का किस तरह से उपयोग किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि गोबर से कागज बनाने और मंदिर के कचरे, फूल मालाओं को रीसाइकिलिंग कर जैविक खाद और सीएनजी गैस बनाई जा सकती है.

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सवामणी करने वालों को समझाए-
बैठक में धार्मिक स्थलों पर सवामणी करने वाले लोग गंदगी छोड़ कर चले जाते है। धार्मिक स्थलों के प्रतिनिधियों को कहा गया कि वे ऐसे लोगो को समझाए। यह लोग प्लास्टिक का भी बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं प्लास्टिक को छोड़कर पत्तल दोने का ज्यादा इस्तेमाल करने को कहा जाना चाहिए और इस मुहिम में धार्मिक स्थलों के प्रतिनिधि एक अहम भूमिका निभा सकते हैं। क्योंकि इनकी बार बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक मानते है।

धार्मिक स्थलों पर आने वाले लोगों को शपथ दिलाई जाए-

सचिव शैलजा देवल ने कहा कि धार्मिक स्थलों के प्रतिनिधियों को प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना चाहिए. वहां आने वाले लोगों को भी इसके लिए मना करना चाहिए. साथ ही श्रद्धालुओं को शपथ दिलानी चाहिए कि वह आगे से प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे. प्लास्टिक थैली लेकर आने वालों को मंदिर में प्रवेश नही देना चाहिए.

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सरकार के दूत बनकर करेंगे काम-

शैलजा देवल ने कहा कि धार्मिक स्थलों के प्रतिनिधि राज्य सरकार के दूत बनकर काम करेंगे. उन्होंने कहा कि जहां ज्यादा जनसंख्या होती है वह प्लास्टिक का उपयोग भी ज्यादा होता है. यदि हम प्रसादी, भोजन, सवामणी आदि के लिए पत्तल दोने का उपयोग करेंगे तो पर्यावरण संरक्षण होगा. साथ ही लोगो को रोजगार भी मिलेगा. उन्होंने कहा कि आने वाले श्रद्धालु पानी की बोतले इधर-उधर फेंक देते हैं. तो उन्हें एक जगह जमा कर कबाड़ी को बेच देनी चाहिए और उसके बदले कुछ पैसा भी मिलेगा. धार्मिक स्थलों पर कार सेवा कर यदि सभी लोग श्रमदान करेंगे तो साफ सफाई में एक अहम भूमिका निभा सकेंगे. धार्मिक स्थलों की सफाई होने के बाद हम मोहल्ले में भी अलग-अलग कार सेवा कर साफ-सफाई कर सकते हैं.

धार्मिक स्थलों के प्रतिनिधियों से लिए सुझाव-

धार्मिक स्थलों की समस्याओं से प्रतिनिधियों ने जस्टिस दीपक महेश्वरी और अधिकारियों को अवगत कराया गया. अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि वे उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे. बैठक में दिल्ली के स्मॉग का मामला भी उठा. उन्होंने कहा कि ज्यादा पटाखे छोड़ने से दिल्ली में स्मॉग हो गया है. वहां लोगो को सांस संबंधी बीमारियां हो रही है. अस्थमा रोगी से ज्यादा प्रभावित है, वहां इमरजेंसी लगी हुई है.

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इन धार्मिक स्थलों से आए प्रतिनिधि बैठक में-

बैठक में रामदेव जी, गोविंद देवजी, ऋषभदेव, खाटू श्यामजी, नाथद्वारा, सालासर बालाजी, महावीरजी, बेणेश्वर धाम, मोती डूंगरी, खोले के हनुमानजी, मेहन्दीपुर बालाजी आदि धार्मिक स्थलों के प्रतिनिधि शामिल हुए. बैठक में अल्पसंख्यक समुदाय से कोई भी प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ. सभी प्रतिनिधि 3 महीने बाद फिर से इकट्ठे होंगे और 3 महीने के कार्यों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करेंगे.

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