जयपुर. प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी का कहना है कि आज भी लोग सचिन पायलट को पसंद करते हैं. आलाकमान ने 2013 में सचिन को प्रदेश की कमान सौंपी थी. तब पार्टी ने विजय हासिल की, लेकिन सीएम अशोक गहलोत को बनाया गया. अब सवाल ये है कि उसके बाद ही हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी को एक भी सीट हाथ क्यों नहीं लगी.
राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर पूर्व मंत्री और प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि पार्टी के अध्यक्ष का नाम जल्द सामने (Rajendra Chaudhary on Congress president) आएगा. कांग्रेस वो पार्टी है, जहां पर चुनाव होते रहे हैं. राजेश पायलट, जितेंद्र प्रसाद, सीताराम केसरी चुनाव लड़े हैं. उन्होंने साफ कर दिया कि राहुल गांधी स्पष्ट रूप से मना कर चुके हैं कि वह अध्यक्ष पद की दौड़ में नहीं हैं. एक अखबार का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का बयान आया है कि सोनिया गांधी कहेंगी तो वो अध्यक्ष बन जाएंगे.
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सचिन पायलट के साथ नाइंसाफी क्यों :राजेंद्र चौधरी ने कहा कि 2013 में 21 सीटों पर सिमटने के बाद सचिन पायलट को आलाकमान ने अध्यक्ष बनाकर भेजा. पायलट ने मेहनत थी की. इसके बाद प्रदेश में सरकार बनी, लेकिन आलाकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया और पायलट को डिप्टी सीएम. लेकिन यह सोचने का विषय है कि पार्टी प्रदेश की पूरी 25 सीटों पर लोकसभा चुनाव हार गई, जबकि वह तो सरकार का हनीमून पीरियड ही था. आज भी जनमानस सचिन पायलट को ही पसंद करता है और आज भी लोग यह पूछते हैं कि सचिन पायलट के साथ नाइंसाफी क्यों हो रही है. उन्होंने कहा कि 6 सितंबर को पायलट के जन्मदिन पर आई भीड़ अपने आप आई भीड़ थी. लोग खुद चलकर आए थे. उसी से पता चलता है कि सचिन पायलट की जो छवि है वह जनता के बीच कैसी है.
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दिव्या मदेरणा का धरना बता रहा है प्रशासन नहीं कर रहा विधायकों की भी सुनवाई:कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा का धरना देने पर पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी ने कहा कि अगर कांग्रेस विधायक धरने पर बैठे हैं, तो इसका मतलब है कि उनकी प्रशासन नहीं सुन रहा है. उनकी सुनवाई नहीं होने के चलते उनको यह कदम उठाना पड़ा. चौधरी ने कहा कि जोधपुर में मुख्यमंत्री को कहना पड़ा कि सड़कों की हालत खराब है. यह बहुत ही गंभीर विषय है. जोधपुर ही क्यों पूरे राजस्थान में सड़क की मरम्मत होनी चाहिए. बरसात में सड़कें खराब हुई हैं. बरसात के बाद बीमारियां फैलती हैं. उसके लिए भी चिकित्सा विभाग को अलर्ट रहना चाहिए. मुख्यमंत्री जब खुद ही कह रहे हैं कि यहां रहना है तो स्थितियां ठीक करनी होंगी, उसके बाद कुछ कहने को नहीं रह जाता. वैसे मुख्यमंत्री गहलोत को यह बात पब्लिक में नहीं कहकर अधिकारियों के बीच ही कहनी थी.