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उर्दू माध्यम स्कूलों में हिंदी माध्यम की किताबें देने से नाराजगी

जयपुर के उर्दू माध्यम के स्कूलों में हिंदी माध्यम की किताबें देने से राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ ने नाराजगी जाहिर की है. उर्दू शिक्षक संघ ने राजस्थान सरकार और शिक्षा विभाग पर आरोप लगाया है कि उर्दू के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. साथ ही संघ ने जानबूझकर उर्दू को खत्म करने की साजिश का भी आरोप लगाया है.

Rajasthan Urdu Medium School, Rajasthan Urdu Teachers Association
उर्दू माध्यम स्कूलों में हिंदी माध्यम की किताबें देने से नाराजगी

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Published : Oct 24, 2020, 6:25 PM IST

जयपुर. शहर में उर्दू माध्यम के सरकारी स्कूलों में हिंदी माध्यम की किताबें देने से उर्दू शिक्षकों में नाराजगी है. इसके खिलाफ राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ ने मोर्चा खोल दिया है. राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग और सरकार पर आरोप लगाया है कि जानबूझकर उर्दू भाषा को खत्म किया जा रहा है. प्रदेश के 32 उर्दू माध्यम स्कूलों में से अब घट कर 6 रह गए हैं. इनमें से 3 अजमेर और 3 जयपुर में बचे हैं. राजकीय प्राथमिक विद्यालय कमानीगरान, मौलाना साहब व नीलगरान (रामगंज इलाके) में सरकारी उर्दू माध्यम के स्कूल हैं. उर्दू माध्यम के विद्यालयों में पढ़ने के लिए हिंदी माध्यम की किताबें दी गई हैं.

उर्दू माध्यम स्कूलों में हिंदी माध्यम की किताबें देने से नाराजगी

राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ के अध्यक्ष अमीन कायमखानी ने कहा कि शिक्षा विभाग प्रदेश में 65 हजार सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक की उर्दू शिक्षा को बिना सरकारी आदेश के किताबों व उर्दू शिक्षकों की सुविधाएं खत्म कर उर्दू शिक्षा को सरकारी स्कूलों से बंद कर रही है. शिक्षा विभाग की ओर से उर्दू माध्यम के सरकारी स्कूलों में हिंदी माध्यम की किताबें देने से कांग्रेस विधायक अमीन कागजी के खिलाफ भी नाराजगी है, क्योंकि जयपुर शहर के तीनों उर्दू माध्यम के स्कूल अमीन कागजी के विधानसभा क्षेत्र किशनपोल में आते हैं. उनकी सरकार होने के बाद भी ऐसा किया जा रहा है.राजकीय प्राथमिक विद्यालय जालुपरा को उर्दू माध्यम से हिंदी माध्यम पहले ही किया जा चुका है. यह भी विधायक अमीन कागजी के किशनपोल विधानसभा क्षेत्र में ही स्थित है.

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अमीन कायमखानी ने कहा कि सबसे ज्यादा तो अफसोसजनक स्थिति राजकीय प्राथमिक विद्यालय मौलाना साहब का है, जहां पर एक भी उर्दू शिक्षक नियुक्त नहीं है. उन्होंने कहा कि उर्दू माध्यम नहीं तो कम से कम एक अतिरिक्त विषय उर्दू की व्यवस्था तो होनी ही चाहिए. इसको भी बन्द कर सरकार व शिक्षा विभाग आखिर क्या संदेश देना चाहता है, यह समझ से परे है. अमीन कायमखानी ने कहा कि सरकार और शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा सौतेला व्यवहार किया जा रहा है और जानबूझकर उर्दू को खत्म करने की साजिश की जा रही है.

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