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गवाहों के बयानों का परीक्षण का काम ट्रायल कोर्ट का, हाईकोर्ट इस आधार पर नहीं दे सकता जमानत

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि गवाहों के बयानों का सूक्ष्म परीक्षण का काम ट्रायल कोर्ट का होता है. हाईकोर्ट जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान इन बयानों का सूक्ष्म परीक्षण नहीं कर सकता.

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राजस्थान हाईकोर्ट

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Published : May 13, 2020, 7:50 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि गवाहों के बयानों का सूक्ष्म परीक्षण का काम ट्रायल कोर्ट का होता है. हाईकोर्ट जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान इन बयानों का सूक्ष्म परीक्षण नहीं कर सकता. इसके साथ ही अदालत ने धोखाधड़ी से जुड़े मामले में आरोपी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश महेंद्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश करण शाह की द्वितीय जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिए.

सरकारी वकील शेर सिंह
जमानत अर्जी में कहा गया कि मामले में अभियोजन पक्ष के 6 गवाहों के बयान ट्रायल कोर्ट में दर्ज हो चुके हैं. इनमें शिकायतकर्ता और उसके परिजनों के बयान भी शामिल हैं. इन बयानों में आपस में विरोधाभास है. वहीं याचिकाकर्ता 9 माह से जेल में बंद है. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए.

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जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील शेर सिंह महला ने कहा कि गवाहों ने याचिकाकर्ता पर सीधे आरोप लगाए हैं. इसके अलावा हाईकोर्ट जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान गवाहों के बयानों का सूक्ष्म परीक्षण नहीं कर सकता है. ऐसे में जमानत अर्जी को खारिज किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने जमानत अर्जी खारिज कर दी है. मामले के अनुसार याचिकाकर्ता के खिलाफ गत वर्ष 28 अगस्त को सुभाष चौक थाना में 6 लाख 90 हजार रुपए की धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया गया था.

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